जब आप जम्मू-कश्मीर, भारत के उत्तर‑पश्चिम में स्थित एक संघीय क्षेत्र, जो अपनी खूबसूरत घाटियों, विविध संस्कृति और रणनीतिक महत्व के लिए जाना जाता है. Also known as J&K की बात करते हैं, तो दो मुख्य भाग तुरंत दिमाग में आते हैं – श्रीनगर, कश्मीर का जेलानी दिल, ऐतिहासिक बहुओं और झीलों का घर और जम्मू, जम्मू घाटी का प्रमुख शहर, जहाँ हिन्दू‑भाईचारा प्रमुख है. ये दोनों शहर क्षेत्र की सामाजिक‑राजनीतिक धुरी बनते हैं और स्थानीय खबरों का मुख्य स्रोत होते हैं.
जम्मू-कश्मीर अपने भू‑राजनीतिक स्थिति के कारण अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा चर्चा में आता है। यहाँ की हिमालय, दुनिया की सबसे ऊँची पहाड़ी श्रृंखला, जो जलवायु और पर्यटन दोनों को shaping करती है को लेकर जलसंधि, बर्फ़ीला मौसम और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे लगातार सामने आते हैं। इसलिए, सुरक्षा से जुड़े निर्णय, सीमा सुरक्षा नीति, और स्थानीय प्रशासनिक बदलाव इस क्षेत्र की समाचारों में बार‑बार दिखते हैं।
पर्यटन जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था का बड़ा इंजन है। खूबसूरत वैली, सरोवर और पहाड़ी रास्ते हर साल लाखों यात्रियों को आकर्षित करते हैं। यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर की खबरों में अक्सर नए होटल, ट्रैकिंग कॉम्पलीक्स और सांस्कृतिक इवेंट की घोषणा दिखाई देती है। साथ ही, स्थानीय हस्तशिल्प, पुष्पी कला और शरमाली कपड़े जैसे उत्पाद राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपने पैर जमा रहे हैं। इनका उल्लेख समाचार में तब होता है जब सरकारी पहल, टैक्स इंसेंटिव या एक्सपोर्ट प्रोग्राम की बात आती है.
खबरों में अक्सर यह भी दिखता है कि जम्मू‑कश्मीर किन सामाजिक मुद्दों का सामना कर रहा है – जैसे शिक्षा में सुधार, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार, और महिला सशक्तिकरण के कार्यक्रम। इन पहलुओं को समझने के लिए हमें क्षेत्र की जनसंख्या संरचना और स्थानीय राजनीति को देखना पड़ता है। राजनीतिक पार्टियों के गठजोड़, विधानसभा में नई ब्योरे और विकास योजनाएं यहां की रिपोर्टिंग को जीवंत बनाती हैं.
साथ ही, सुरक्षा पर चर्चा करते समय हम देख सकते हैं कि सीमा पर तनाव, आतंकवाद विरोधी अभियानों और स्थानीय पुलिस की कार्रवाई की रिपोर्टें अक्सर शीर्ष पर आती हैं। इन रिपोर्टों में अक्सर अंतरराष्ट्रीय संबंधों और भारत‑पाकिस्तान के बीच के समुचित तालमेल का भी उल्लेख किया जाता है। इस प्रकार, सुरक्षा, राजनीति और सामाजिक जीवन आपस में जुड़े हुए हैं – एक ही कहानी के अलग‑अलग पहलू.
जम्मू‑कश्मीर की खबरों को पढ़ते समय आपको यह भी मिल सकता है कि क्षेत्र में पर्यावरणीय बदलावों का असर कैसे पड़ रहा है। ग्लेशियर की पिघलन, जलस्रोतों की कमी और उनपर आधारित जल-संधि समझौते अक्सर चर्चा का विषय बनते हैं। यह दर्शाता है कि प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन, स्थानीय जीवन और आर्थिक विकास के बीच घनिष्ठ संबंध स्थापित करता है.
यदि आप जम्मू‑कश्मीर के वर्तमान परिप्रेक्ष्य को समझना चाहते हैं, तो नीचे की सूची में आपको राजनीति, सुरक्षा, पर्यटन, आर्थिक पहल और सामाजिक पहलुओं को कवर करने वाले लेख मिलेंगे। ये लेख आपको क्षेत्र की जटिलताओं और संभावनाओं की एक स्पष्ट तस्वीर देंगे, जिससे आप अपने दृष्टिकोण को समृद्ध कर सकेंगे।
जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्यधिकार की बहस छह साल बाद फिर गरमा गई है। केंद्र सरकार ने बदलाव की संभावना जताई मगर कोई समयसीमा तय नहीं की। स्थानीय नेताओं को मौजूदा यूनियन टेरिटरी स्टेटस में प्रशासनिक अधिकार कम लग रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट अगस्त 2025 में संबंधित याचिका सुनेगा।
जम्मू-कश्मीर और उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में लू का प्रकोप जारी है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में तापमान 43 से 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। मॉनसून की उत्तरी सीमा कई दिन से जस की तस है, जिससे आम जनजीवन बेहाल है।
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की प्रक्रिया ने एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है। केंद्र सरकार आवश्यक प्रक्रियाओं में प्रगति कर रही है, जिससे इसके पूर्ण राज्य के दर्जे में फिर से बहाली हो सके। हालांकि, हालिया संशोधनों ने लेफ्टिनेंट गवर्नर की शक्तियों को बढ़ाते हुए इसका रास्ता लंबा और अनिश्चित बना दिया है, जिससे स्थानीय असंतोष बढ़ने लगा है।
जम्मू और कश्मीर के डोडा जिले में एक आतंकी हमले में एक सेना अधिकारी और तीन जवान शहीद हो गए। यह घटना 16 जुलाई 2024 को डेसा जंगल क्षेत्र में हुई। सेना अधिकारी और जवान 10 राष्ट्रीय राइफल्स के आतंकवाद विरोधी इकाई का हिस्सा थे। सुरक्षाबलों ने भारी गोलीबारी का जवाब दिया, लेकिन आतंकियों की गोलीबारी में घायल जवानों ने दम तोड़ दिया।