धनतेरस 2025: 18 अक्टूबर को शनिवार, प्रमुख शहरों के मुहूर्त व खरीदारी टिप्स

जब धनतेरस 2025 भारत शनिवार, 18 अक्टूबर को आता है, तो हर घर की रौनक बढ़ जाती है; इस दिन भगवान धन्वंतरी, देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। यह अवसर केवल रोशनी‑रोशनी का नहीं, बल्कि आर्थिक‑स्वास्थ्य‑संतुलन के संगम का भी है, इसलिए लोग इस मुहूर्त में सोना‑चांदी खरीदने के लिए निकटतम बाजारों की ओर रुख करते हैं।
इतिहास और महत्व
धनतेरस शब्द दो संस्कृत शब्दों से बना है – ‘धन’ (सम्पत्ति) और ‘त्रयोदशी’ (कैलेंडर के तेरहवें दिन)। इसे धन्वंतरी जयंती भी कहा जाता है, क्योंकि वही समधुर समुद्र मंथन (समुद्र मन्तन) के दौरान अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस पौराणिक कथा ने सोची‑समझी खरीदारी की परम्परा बनाई, जहाँ लोग अलंकार, बर्तन, और धातु के सामान लेकर घर में समृद्धि का स्वागत करते हैं।
धनतेरस 2025 की तिथि‑समय एवं प्रमुख शहरों के मुहूर्त
किरिड शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन (त्रयोदशी तिथि) की शुरुआत 12:18 बजे दोपहर से होगी। अधिकांश पण्डित गणितीय जानकारी के आधार पर शाम के प्रदोष काल (05:48 से 08:20) को सबसे शुभ मानते हैं, जबकि वृषभ काल का ओवरलैप इस अवधि को और भी उत्तम बनाता है।
- न्यू‑दिल्ली: 07:16 PM – 08:20 PM (लगभग 1 घंटा 4 मिनट)
- मुंबई: 07:49 PM – 08:41 PM
- कोलकाता: 06:41 PM – 07:38 PM (सबसे जल्दी मुहूर्त)
- पुने: 07:46 PM – 08:38 PM
- चेन्नई: 07:28 PM – 08:15 PM
- जयपुर: 07:24 PM – 08:26 PM
- हैदराबाद: 07:29 PM – 08:20 PM
- बेंगलुरु: 07:39 PM – 08:25 PM
- अहमदाबाद: 07:44 PM – 08:41 PM
- गुरुग्राम: 07:17 PM – 08:20 PM
- चंडीगढ़: 07:14 PM – 08:20 PM
- नोएडा: 07:15 PM – 08:19 PM
इन समय‑सारिणियों में थोड़ी‑बहुत भिन्नता पाई जाती है, क्योंकि कुछ स्रोत सूर्य‑चंद्र की सटीक दशा के आधार पर अलग‑अलग गणना करते हैं। लेकिन मुख्य बात यह है कि सभी शहरों में मुहूर्त शाम के प्राक‑सेन (प्रदोष) के अंदर ही रहता है, जिससे घर‑घर में एक ही समय पर दीप जलाने की भावना बनी रहती है।
पूजा विधि और अनुष्ठान
धनतेरस की पूजा आमतौर पर तीन चरणों में विभाजित होती है:
- लाल कुंडली: सबसे पहले साफ‑सुथरा कुंड लगाया जाता है, उसमें पवित्र जल, दालचीनी, लौंग और एक छोटी सी दीपावली रखी जाती है।
- लक्ष्मी‑कुबेर‑धन्वंतरी पूजा: प्रत्येक देवता को अलग‑अलग स्थले रखकर, संकल्पित मंत्र (जैसे ‘ॐ महालक्ष्म्यै नमः’, ‘ॐ कुम्भर्ये नमः’, ‘ॐ धन्वंतर्यै नमः’) के साथ पूजन किया जाता है।
- धन‑अस्थि‑पात्र अभिषेक: अंत में सोने‑चांदी के छोटे बिंस अथवा नई बैरन की टोकरी को जल से अभिषेक किया जाता है, जिससे समृद्धि का आगमन माना जाता है।
पूजा के दौरान भगवान धन्वंतरी का विशेष स्थान है; वह आयुर्वेद के पिता हैं, इसलिए स्वास्थ्य‑संतुलन का एक मुख्य कारक माना जाता है। इस वजह से कई लोग अपना घर स्वच्छ रखने के साथ-साथ आयुर्वेदिक तेल या हर्बल चीज़ें भी इस अवसर पर सर्थक मानते हैं।
बाजार में खरीदारी: सोना‑चांदी और बर्तनों का प्रचलन
धनतेरस के दिन सोना‑चांदी की कीमतें अक्सर बाजार में थोड़ी बढ़ती हुई देखी जाती हैं, परन्तु यह झुकाव बस एक मानसिक प्रभाव है – लोग मानते हैं कि इस शुभ मुहूर्त में खरीदा गया धातु घर में हमेशा के लिये माँग को स्थिर रखेगा। 2024‑25 के आँकड़ों के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में धनतेरस के दौरान सोने की बिक्री में औसत 12 % की वृद्धि देखी गई है।
इसी तरह, धातु के बर्तन, पायी, थालियां और इलेक्ट्रिक गैस स्टोव भी इस दिन खरीदने का चलन रहता है। खुदरा विक्रेता अक्सर “मुहूर्त में खरीदें, दो साल तक लाभ” जैसे टैग‑लाइन लगाते हैं।

विचार‑विमर्श: इस परंपरा का सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव
धनतेरस केवल धर्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था में भी एक छोटे‑साइज़ का ‘सत्र’ है। छोटे‑शहरों में स्थानीय कारीगरों के लिए यह समय रोजगार का मुख्य स्रोत बन जाता है। बड़े मेट्रो में रिटेल चेन इस दिन को प्रोमोशन‑ड्रिवन इवेंट बना देते हैं, जिससे उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी की संभावना होती है।
आधुनिक समय में डिजिटल भुगतान का उछाल भी देखा गया है – 2023 में पूरे देश में धनतेरस के दिन ई‑वॉलेट ट्रांजैक्शन में 18 % की वृद्धि दर्ज हुई थी। इसका मतलब यह है कि युवा वर्ग अब भी परम्परा को मानता है, परन्तु प्रौद्योगिकी के माध्यम से इसे अपनाता है।
आगामी वर्ष के लिए क्या उम्मीदें?
ज्योतिषियों का कहना है कि 2025 में सूर्य वृश्चिक रashi में रहेगा और चन्द्र Virgo में, जिससे आर्थिक स्थिरता और स्वास्थ्य‑सुरक्षा दोनों का शुभ संकेत मिलता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि लोग इस शुभ समय में निवेश करेंगे, तो दीर्घ‑कालिक लाभ की संभावना अधिक होगी। साथ ही, महामारी‑पश्चात आर्थिक पुनरुद्धार के साथ, कई लोग छोटे‑सम्पत्ति (जैसे सोने‑चांदी के सिक्के) को सुरक्षित रखने की ओर झुके हुए हैं।
संक्षिप्त सारांश और मुख्य बिंदु
- धनतेरस 2025 का पर्व 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा।
- प्रदोष काल (05:48 PM – 08:20 PM) और वृषभ काल का ओवरलैप सबसे शुभ मुहूर्त है।
- मुख्य शहरों के समय‑सारिणी न्यू‑दिल्ली, मुंबई, कोलकाता आदि में अलग‑अलग हैं, पर सभी शाम के 7‑8 PM के बीच पड़ते हैं।
- पूजा में देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरी की विशेष पूजा की जाती है।
- सोना‑चांदी व बर्तनों की खरीदारी इस दिन का आर्थिक पहलू है, जिसमें पिछले पाँच वर्षों में औसत 12 % की बिक्री वृद्धि देखी गई है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
धनतेरस 2025 का मुहूर्त कौन‑से समय में है?
न्यू‑दिल्ली में प्रमुख मुहूर्त 07:16 PM से 08:20 PM है, जबकि कोलकाता में यह 06:41 PM से 07:38 PM के बीच पड़ता है। सभी शहरों का समय प्रदोष काल (05:48 PM से 08:20 PM) के भीतर रहता है, जिससे एक ही समय पर दीप जला सकते हैं।
धनतेरस पर कौन‑सी पूजा‑विधियाँ करनी चाहिए?
सबसे पहले साफ‑सुथरा कुंड तैयार करें, फिर क्रमशः देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरी की मूर्तियों या तस्वीरों को जल, पकौड़ी और फलों से सजाएँ। अंत में सोने‑चांदी के छोटे बिंस को जल से अभिषेक करें। सभी अनुष्ठान शाम के प्रादोष काल में ही करना सर्वोत्तम माना जाता है।
क्या धनतेरस पर सोना‑चांदी खरीदना सच में लाभदायक है?
पारंपरिक मान्यता के अनुसार शुभ मुहूर्त में खरीदा गया धातु घर में समृद्धि लाता है। आर्थिक आँकड़े दिखाते हैं कि पिछले पाँच वर्षों में धनतेरस के दौरान सोने की बिक्री में औसत 12 % की वृद्धि हुई है, जिससे निवेश के रूप में यह समयधारित लाभ दे सकता है।
धनतेरस का स्वास्थ्य‑पक्ष क्या दर्शाता है?
धनतेरस में भगवान धन्वंतरी की पूजा आयुर्वेदिक स्वास्थ्य का प्रतीक है। इस दिन हल्के फुल्के आयुर्वेदिक तेल या हर्बल अचार बनाकर घर में रखना शुभ माना जाता है, जिससे पारिवारिक स्वास्थ्य में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
भविष्य में धनतेरस के रुझान कैसे बदलेंगे?
डिजिटलीकरण के साथ ई‑वॉलेट और ऑनलाइन शॉपिंग का प्रयोग बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में धनतेरस पर डिजिटल भुगतान में 20 % से अधिक वृद्धि होगी, जबकि परम्परागत मौद्रिक लेन‑देन धीरे‑धीरे घटेगा।
Rohit Garg
अक्तूबर 12, 2025 AT 04:06भाइयों, धन्तेरस का मुहूर्त देख कर लगता है जैसे ब्रह्मा ने टाइमटेबल बनाकर सबको फँसा दिया हो। लेकिन ये सब केवल पौराणिक कथा नहीं, आर्थिक सोच का भी हिस्सा है। आप लोग सोना‑चाँदी खरीदने में देर न करो, क्योंकि समय का नुकसान प्रगति को रोक देता है। कुछ लोग कहेंगे कि सिर्फ अंधविश्वास है, पर मैं कहूँगा कि विज्ञान‑धर्म दोनों साथ चलते हैं। आज के इस मुहूर्त में अगर सही ढंग से निवेश किया जाए तो आगे के सालों में लाभ की संभावना बढ़ जाती है। तो भाई, देर मत करो, सही समय पर कदम बढ़ाओ।