विनेश फोगाट को सिल्वर मेडल की उम्मीद, कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स ने अपील स्वीकारी

विनेश फोगाट को सिल्वर मेडल की उम्मीद, कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स ने अपील स्वीकारी अग॰, 9 2024

विनेश फोगाट की अपील स्वीकार, सिल्वर मेडल की उम्मीद

भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट के लिए एक अच्छी खबर आई है। कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) ने उनके पेरिस ओलंपिक्स 2024 से डिसक्वालिफिकेशन के खिलाफ अपील को स्वीकार कर लिया है। विनेश, जिन्हें स्वर्ण पदक मैच से मात्र 100 ग्राम अधिक वजन होने की वजह से बाहर कर दिया गया था, अब शायद सिल्वर मेडल जीत सकें।

विनेश फोगाट ने अपनी अपील में पहले यह माँग की थी कि उन्हें महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग में गोल्ड मेडल मैच में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी जाए। लेकिन यह अनुरोध ठुकरा दिया गया क्योंकि अमेरिका की सारा हिल्डेब्रांट पहले ही वह मैच जीत चुकी थीं। इसके बाद, विनेश ने पुनः अपील की कि उन्हें संयुक्त रूप से सिल्वर मेडलिस्ट घोषित किया जाए।

CAS की सुनवाई और प्रबंध

CAS अब इस अपील की समीक्षा करेगा, और संभावित है कि विनेश भारत लौटते समय एक पदक के साथ घर लौटें। विनेश की अपील की सुनवाई ऑनलाइन की जाएगी। पेरिस 2024 ओलंपिक्स के दौरान पेरिस बार के प्रो बोनो वकील - जोले मोंलुईस, एस्टेल इवानोवा, हबीन एस्टेल किम, और चार्ल्स एम्सन - उन्हें इस सुनवाई में प्रतिनिधित्व करेंगे।

यदि विनेश यह अपील जीत जाती हैं, तो उन्हें संयुक्त रूप से सिल्वर मेडल प्रदान किया जाएगा। यदि वह असफल होती हैं, तो उनका डिसक्वालिफिकेशन यथावत रहेगा और वह अंतिम स्थान पर रह जाएंगी। इस असफलता के बावजूद, विनेश ने पेरिस ओलंपिक्स में अपने शानदार प्रदर्शन से सभी का दिल जीता था।

डिसक्वालिफिकेशन का दर्द और सेवानिवृत्ति की घोषणा

डिसक्वालिफिकेशन का दर्द और सेवानिवृत्ति की घोषणा

विनेश फोगाट को महिला 50 किग्रा वर्ग के फाइनल मुकाबले से 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण डिसक्वालिफाई किया गया था। इसके परिणामस्वरूप, जिनसे वे सेमीफाइनल में जीती थीं, युसनेलिस गुज़मान फाइनल में पहुंच गईं और अंततः अमेरिका की सारा हिल्डेब्रांट से हार गईं।

डिसक्वालिफिकेशन के एक दिन बाद, विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म X पर रेसलिंग से संन्यास लेने की घोषणा की। वे ओलंपिक्स में महिला व्रेशलिंग के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं। विनेश को स्वर्ण पदक जीतने का मजबूत दावेदार माना जा रहा था, और डिसक्वालिफिकेशन से पहले वे कम से कम एक सिल्वर मेडल की गारंटी में थीं।

हालांकि, वजन के कारण डिसक्वालिफिकेशन होने से उनके सभी पहले के विजय गिनती में नहीं आए और वे बिना किसी पदक के ही घर लौट आईं।

नया मौका और उम्मीदें

अब, CAS में अपील स्वीकार होने से, विनेश फिर से मेडल की दौड़ में आ सकती हैं। यह संभव है कि वह अपने शानदार प्रदर्शन और संघर्ष के बल पर फिर से एक पदक लेकर भारत लौटें। उनके करियर में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

विनेश फोगाट ने अपने करियर में कई प्रमुख उपलब्धियाँ हासिल की हैं। उनके वापसी की कहानी न केवल उन्हें प्रेरित करेगी, बल्कि कई अन्य युवाओं को भी प्रेरित करेगी जो खेलों में अपने भविष्य को रोशन करने का सपना देखते हैं।

भारत की यह सितारा पहलवान उम्मीदों से भरी है, और देशवासियों को उम्मीद है कि इस बार न्यायपालिका उनकी मेहनत का सही मूल्यांकन करेगी।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय पहलवानों की महत्वाकांक्षाएँ

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय पहलवानों की महत्वाकांक्षाएँ

भारतीय पहलवान पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बना रहे हैं। सुशील कुमार, साक्षी मलिक और अब विनेश फोगाट जैसे पहलवानों ने भारत का मान बढ़ाया है। ऐसे मे, पूरे देश की नज़र इस फैसले पर होगी।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के पहलवानों ने अपनी मेहनत और दृढ़ता के कारण महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। हर छोटे-बड़े पहलवान के पीछे एक दृढ़ संकल्प और जुनून छुपा है जिसे दुनिया देखती है।

विनेश की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहेगी, जो हार मानने के बाद भी संघर्ष करते रहते हैं। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कैसे संघर्ष और समर्पण से सब कुछ संभव हो सकता है।

अंतिम विचार

विनेश फोगाट का मामला न केवल एक खेल घटना है, बल्कि यह नौजवानों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। उनके संघर्ष और साहस की यह कहानी हर भारतीय के दिल में एक नई उम्मीद जगाती है। हम सब यही कामना करते हैं कि विनेश फोगाट को न्याय मिले और वह एक बार फिर देश का गौरव बढ़ाएं।