पेरिस 2024: एज़रा फ्रेक ने पुरुषों की ऊंची कूद T63 में जीता दूसरा स्वर्ण पदक
सित॰, 4 2024पेरिस 2024 पैरालंपिक: एज़रा फ्रेक का दूसरा स्वर्ण पदक
19 वर्षीय अमेरिकी पैरालंपिक एथलीट एज़रा फ्रेक ने पेरिस 2024 पैरालंपिक गेम्स में अपना दूसरा स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। एज़रा, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत टोक्यो 2020 से की थी, ने 2024 में पेरिस में अपने प्रदर्शन से सबका दिल जीत लिया। उन्होंने न केवल पुरुषों की 100 मीटर T63 दौड़ में स्वर्ण पदक जीता, बल्कि अगले ही दिन पुरुषों की ऊंची कूद T63 फाइनल में भी शीर्ष स्थान हासिल किया।
चुनौतियों का सामना और टोक्यो 2020 की शुरुआत
एज़रा फ्रेक का जीवन चुनौतियों से भरा रहा है। उनका जन्म जन्मजात अंग भिन्नताओं के साथ हुआ था और उन्होंने पहली प्रॉस्थेटिक टांग 11 माह की उम्र में प्राप्त की थी। मात्र चार साल की उम्र में उन्होंने प्रॉस्थेटिक ब्लेड पर दौड़ना शुरू कर दिया और आठ साल की उम्र में एंडेवर गेम्स में हिस्सा लेने के बाद उन्होंने एडाप्टिव स्पोर्ट्स में करियर बनाने का निर्णय लिया।
फ्रेक ने पहली बार टोक्यो 2020 में पैरालंपिक में भाग लिया, लेकिन वहां वह कोई पदक नहीं जीत पाए। हालांकि, उन्होंने निराश होने की बजाय अपने लक्ष्य की और अधिक तैयारी की और पेरिस 2024 पर पूरा ध्यान केंद्रित किया।
पेरिस 2024 में शानदार प्रदर्शन
पेरिस 2024 में उनके प्रदर्शन ने सभी को प्रभावित किया। 2 सितंबर को हुई 100 मीटर T63 दौड़ में उन्होंने अपनी व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय भी दर्ज की और स्वर्ण पदक जीता। अगले ही दिन 3 सितंबर को उन्होंने पुरुषों की ऊंची कूद T63 फाइनल में भी भाग लिया और एक जोड़ी भारतीय प्रतियोगियों के साथ मुकाबला करते हुए विजय हासिल की।
फ्रेक की प्रेरणादायक यात्रा
फ्रेक की यात्रा सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने अपनी शारीरिक चुनौतियों को कभी भी अपनी मंजिल के बीच में नहीं आने दिया। उनके इस साहस और दृढ़ संकल्प ने उन्हें एक उभरता हुआ सितारा बना दिया है। आज वह विश्व भर के उन एथलीटों के लिए प्रेरणा बने हैं जो चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
एज़रा फ्रेक के दो स्वर्ण पदक जीतने के बाद अब सारा ध्यान उनकी आगे की यात्रा पर है। वह न केवल अपने देश का नाम रोशन कर रहे हैं, बल्कि पैरालंपिक खेलों में एक नई पहचान भी बना रहे हैं।
एज़रा फ्रेक का भविष्य
उनकी यह सफलता न सिर्फ़ एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह दर्शाती है कि अगर संघर्ष और दृढ़ निश्चय हो तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। उनकी यह प्रेरक यात्रा निश्चित रूप से भविष्य में और भी अधिक सफलता की ओर अग्रसर होगी।