व्यक्तिगत आयकर – क्या चाहिए और कब कैसे भरें?

जब हम व्यक्तिगत आयकर, व्यक्ति द्वारा अर्जित आय पर लगने वाला कर. Also known as इनकम टैक्स, it governs पूँजी, वेतन और अन्य स्रोतों से मिलने वाली आमदनी पर निर्धारित नियमों को. इस टैक्स को समझना आसान नहीं लगता, पर व्यक्तिगत आयकर के मूल सिद्धांत जानने से आप हर साल की फाइलिंग में सच्चा भरोसा बना सकते हैं। नीचे टैक्स रिटर्न, आयकर स्लैब, कर छूट और फॉर्म 16 जैसे मुख्य घटकों को सरल शब्दों में तोड़कर बताया गया है।

मुख्य घटक और उनका आपस का रिश्ता

टैक्स रिटर्न, एक आधिकारिक दस्तावेज़ जिसमें आपका कुल आय, कटौतियां और देय कर दिखाया जाता है. Known as इन्कम टैक्स रिटर्न, it is legally required for every salaried or self‑employed individual. रिटर्न दाखिल करना सिर्फ एक फ़ॉर्म भरना नहीं, बल्कि आयकर स्लैब, छूट और कटौतियों की सही गणना का अभ्यास है।

आयकर स्लैब, वित्त मंत्रालय द्वारा निर्धारित कर दरें जो वार्षिक आय के वर्गों के आधार पर बदलती हैं. Also called टैक्स ब्रैकेट, it decides कि आप पर कौन‑सी प्रतिशत टैक्स लगेगा. 2025‑26 में पहली ₹2.5 लाख आय पर कोई टैक्स नहीं, अगले ₹2.5 लाख पर 5% और फिर ऊँचे स्लैब पर 20‑30% दरें लगती हैं। स्लैब के साथ छूट और धारा 80‑C, 80‑D जैसी धारा भी जुड़ी होती हैं, जो आपके टैक्स बोझ को घटाती हैं।

फॉर्म 16, नियोक्ता द्वारा जारी किया गया प्रमाण पत्र जिसमें तनख्वाह, टैक्स डिडक्शन और सेक्शन 192 के तहत कटौती दिखती है. Alternate name वेतन प्रमाण पत्र, it serves as the primary source for preparing your return. फॉर्म 16 में दिखाए गए टैक्‍स डिडक्शन को रिटर्न में भरकर आप आसानी से कर रिफंड या अतिरिक्त टैक्स का पता लगा सकते हैं।

इन चार मुख्य इकाइयों के बीच कई तार्किक कनेक्शन होते हैं। पहला, **व्यक्तिगत आयकर** आय के स्रोतों को वर्गीकृत करके टैक्स स्लैब लागू करता है। दूसरा, टैक्स स्लैब निर्धारित होने के बाद, करदाता सेक्शन 80‑C‑80‑U की छूट लेकर कुल टैक्सेबल आय घटा सकते हैं। तीसरा, फॉर्म 16 अपने आप में डिडक्शन की सही मात्रा दर्शाता है, जिससे टैक्स रिटर्न में गणना की त्रुटि कम होती है। चौथा, रिटर्न फाइल करने के बाद आयकर पोर्टल पर “विज़िट कार्ड” या “अवसर” जैसे डिजिटल टूल्स से आप अपनी अनुपालन स्थिति देख सकते हैं।

डिजिटल आयकर पोर्टल (आयकर.इन) ने प्रक्रिया को काफी तेज़ कर दिया है। अब आप घर बैठे फॉर्म 16 अपलोड कर सकते हैं, आय विवरण भर सकते हैं और रिटर्न को ई‑वेरिफ़ाई करके तुरंत जमा कर सकते हैं। यदि कोई त्रुटि रहती है, तो पोर्टल “विचार/अभियुक्ति” सेक्शन में सुधार की सुविधा देता है, जिससे दंड से बचा जा सकता है। इस तरह का ऑनलाइन‑आधारित कार्य‑प्रवाह व्यक्तिगत आयकर को हर साल के “ड्रामा” से “रोडमैप” में बदल देता है।

कहीं‑कहीं लोग कर बचाने के लिए गलत जानकारी भरते हैं, लेकिन ऐसा करने से जुर्माना, पेनाल्टी और कानूनी कार्रवाई का जोखिम बढ़ जाता है। वास्तविक छूट के लिए सही दस्तावेज़ — जैसे बीमा पॉलिसी, हेल्थ इंस्योरेंस, शिक्षा ऋण रसीदें — को जमा रखना आवश्यक है। इन दस्तावेज़ों को आयकर पोर्टल पर ‘छूट दस्तावेज़’ के रूप में अपलोड करके आप अपनी रिटर्न को और भी सटीक बना सकते हैं।

सामान्यतः, पहला कदम है अपने वार्षिक कुल आय को समझना — वेतन, बोनस, फ्री‑लैन्स, पूँजी लाभ, किराया आदि। फिर आयकर स्लैब के हिसाब से टैक्सेबल आय निकालें, सेक्शन 80‑C‑80‑U की छूट जोड़ें, फॉर्म 16 से डिडक्शन घटाएँ और अंत में टैक्स रिटर्न फॉर्म (I‑TR 1, I‑TR 2, I‑TR 3) भरें। प्रत्येक फॉर्म अलग‑अलग वर्ग के लिए है, पर सभी में बेसिक जानकारी समान रहती है।

संक्षेप में, व्यक्तिगत आयकर के बुनियादी तत्व — टैक्स रिटर्न, आयकर स्लैब, कर छूट, फॉर्म 16 और डिजिटल पोर्टल — आपस में जुड़े हुए हैं और एक‑दूसरे को पूरा करते हैं। इन्हें क्रमशः समझने से आप न सिर्फ अपने टैक्स खर्च को कम कर पाएंगे, बल्कि समय पर फाइलिंग करके दंड से भी बचेंगे। नीचे दी गई लेखों की सूची में आप इन सभी विषयों के विस्तृत उदाहरण, हालिया अपडेट और व्यावहारिक टिप्स पाएँगे, जो आपके अगले आयकर मौसम को आसान बनायेंगे।

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जुल॰, 23 2024