जब बात तुंगभद्रा डैम, गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित एक प्रमुख जलाशय और जलविद्युत परियोजना. इसे कभी‑कभी तुंगभद्रा जलाशय भी कहा जाता है, तो इसका महत्व केवल जल संग्रह तक ही सीमित नहीं रहता। इस डैम ने स्थानीय बिजली उत्पादन, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
डैम के मुख्य भागों में जलविद्युत, बिजली उत्पन्न करने वाली टर्बाइन और जनरेटर सिस्टम शामिल हैं। जलविद्युत का लक्ष्य साफ़ ऊर्जा प्रदान करना है, इसलिए तुंगभद्रा डैम भारत के नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो में एक महत्वपूर्ण कड़ी बन गया है। इसी तरह जलसंकलन, बारिश के पानी को संग्रहित करके सिंचाई और पेयजल के रूप में उपयोग करने की प्रक्रिया भी यहाँ का प्रमुख कार्य है, जिससे जमीनी जल स्तर को स्थिर रखने में मदद मिलती है।
हर बड़े जल परियोजना की तरह तुंगभद्रा डैम का पर्यावरण प्रभाव, स्थानीय जैव विविधता, जल गुणवत्ता और आवासीय क्षेत्रों पर पड़े प्रभाव को समझना जरूरी है। डैम की निर्मिती से नदियों के प्रवाह में बदलाव आया, जिससे कुछ मछली प्रजातियों के प्रवास पर असर पड़ा। दूसरी ओर, जलसंकलन से बाढ़ की خطر कम हुई और किसानों को स्थायी पानी उपलब्ध हुआ। इस प्रकार पर्यावरणीय प्रभाव और जलसंकलन आपस में जुड़े हैं – बेहतर जलसंकलन से बाढ़ नियंत्रण बेहतर होता है, और बाढ़ कम होने से जलवायु परिवर्तन से जूझते क्षेत्रों में राहत मिलती है।
गुजरात सरकार ने डैम के आसपास के प्रकृति संरक्षण, वन्यजीव आश्रयस्थलों की सुरक्षा और पुनर्स्थापना कार्यक्रम को भी बढ़ावा दिया है। इसमें सैकड़ों हेक्टेयर में वृक्षारोपण और ईको‑टूरिज्म परियोजनाएँ शामिल हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई राहें देती हैं। इसके अलावा, डैम द्वारा उत्पन्न जलविद्युत से स्थानीय औद्योगिक इकाइयों के ऊर्जा खर्च में कमी आई, जिससे जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटती है।
संक्षेप में, तुंगभद्रा डैम जलविद्युत के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान करता है, जलसंकलन से कृषि और पेयजल की जरूरतें पूरी करता है, और पर्यावरण प्रभाव को संतुलित करने के प्रयासों के साथ सतत विकास को आगे बढ़ाता है। नीचे आप देखेंगे कि इन सभी पहलुओं पर हमने कौन‑कोण से लेख लिखे हैं, जैसे कि बिजली उत्पादन के आँकड़े, सिंचाई योजनाएँ, और पर्यावरण संरक्षण के केस स्टडी। इन टॉपिक्स को समझना आपको तुंगभद्रा डैम के व्यापक प्रभाव को बेहतर ढंग से देखने में मदद करेगा।
10 अगस्त की रात तुंगभद्रा डैम का स्पिलवे गेट नंबर 19 तूट गया, जिससे अधिकारियों और स्थानीय निवासियों के बीच चिंता बढ़ गई। बांध प्राधिकरणों ने आपातकालीन प्रतिक्रिया शुरू की और एक नया गेट बनाने की प्रक्रिया शुरू की। घटना का प्रशासनिक और तकनीकी दृष्टिकोण से निरीक्षण किया जा रहा है।