पैरालंपिक गेम्स: समर्पण और जीत की कहानी

जब हम पैरालंपिक गेम्स, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मदद से दिव्यांग खिलाड़ियों की अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा, भी कहा जाता है पैरालिंपिक की बात करते हैं, तो तुरंत दो चीजें दिमाग में आती हैं – बड़े सपने और कड़ी मेहनत। ये खेल हर चार साल में एक बार होते हैं, ठीक ऑलिम्पिक के बाद, और विश्व भर के एथलीट एक ही मंच पर अपनी क्षमताओं को अजेय बनाते हैं।

पैरालंपिक के पीछे मुख्य चालक इंटरनेशनल पैरालिंपिक कमिशन (IPC), दिव्यांग खेलों की गवर्निंग बॉडी, जो नियम, वर्गीकरण और आयोजन की देखरेख करती है है। यह संगठन खेलों को पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बनाता है, जिससे हर एथलीट को समान मंच मिले। साथ ही डिसएबिलिटी एथलीट, वो खिलाड़ी जो शारीरिक या बौद्धिक चुनौतियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं भी इस इवेंट की आत्मा हैं – उनका जुनून और दृढ़ता ही पैरालंपिक को विशेष बनाती है।

पैरालंपिक की प्रमुख विशेषताएँ और भारत की यात्रा

पैरालंपिक गेम्स सिर्फ खेल नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का भी मंच है। पहला बड़ा सामाजिक प्रभाव यह है कि यह लोगों की सोच को बदलता है – ‘असफलता’ की बजाय ‘संभावना’ को उजागर करता है। दूसरा, ये खेल विभिन्न वर्गीकरण सिस्टम (जैसे, T11‑T13 बिंदु दृष्टि, F55‑F57 बेंच प्रेस) के कारण हर एथलीट को समान मौके देते हैं। तीसरा, पैरालंपिक अक्सर नई तकनीक और एडैप्टिव उपकरणों के विकास को प्रेरित करता है, जो रोज़मर्रा की जिंदगी में भी मददगार साबित होते हैं।

भारत ने पिछले दो दशक में पैरालंपिक में कदम रखे हैं और अब तक कई मेडल जीते हैं। 2016 रियो में रोहित बघत ने बायिकॉन में शहदसंगती चलाते हुए पहला स्वर्ण मिला। 2020 टोक्यो में सविता सिंग ने 1500 मीटर के धाव में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया, जबकि आयुषी शर्मा ने शॉट पुतली में 4 गोल्ड लेकर इतिहास बना दिया। इन जीतों ने न केवल खेलों में भारत की पहचान को ऊँचा उठाया, बल्कि युवा दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रेरित किया कि वे भी बड़े मंच पर चमक सकते हैं।

अगर आप पैरालंपिक के बारे में गहराई से जानना चाहते हैं, तो नीचे दी गई पोस्ट सूची में विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है – जैसे खेलों के नियम, प्रशिक्षण तकनीक, भारत में फंडिंग, और एथलीटों की व्यक्तिगत कहानियाँ। इन लेखों को पढ़कर आप न सिर्फ पैरालंपिक के तकनीकी पहलुओं को समझेंगे, बल्कि उन प्रेरक कहानियों से भी जुड़ेंगे जो हर दिन के संघर्ष को जीत में बदल देती हैं। आगे का हिस्सा आपको इस विशाल इवेंट के विभिन्न पहलुओं की झलक देगा, जिससे आपका ज्ञान और उत्साह दोनों बढ़ेगा।

पेरिस 2024: एज़रा फ्रेक ने पुरुषों की ऊंची कूद T63 में जीता दूसरा स्वर्ण पदक
पेरिस 2024: एज़रा फ्रेक ने पुरुषों की ऊंची कूद T63 में जीता दूसरा स्वर्ण पदक

अमेरिकी पैरालंपिक एथलीट एज़रा फ्रेक ने पेरिस 2024 पैरालंपिक गेम्स में अपना दूसरा स्वर्ण पदक जीता है। 19 वर्षीय फ्रेक ने 100 मीटर T63 और हाई जम्प T63 में शानदार प्रदर्शन किया। उनका यह सफर टोक्यो 2020 से शुरू हुआ, और अब पेरिस 2024 में उनकी सफलता ने उन्हें पैरालंपिक एथलेटिक्स का उभरता सितारा बना दिया है।

सित॰, 4 2024