जब NEET UG, राष्ट्रीय पात्रता cum प्रवेश परीक्षा है जो MBBS, BDS और सुपर स्पेशलिटी कोर्स के लिए आयोजित की जाती है. Also known as नेशनल एलीजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट, it देश भर के छात्रों को एक समान मंच पर प्रतिस्पर्धा करने का अवसर देता है, तो समझना जरूरी है कि यह परीक्षा कितनी प्रमुख भूमिका निभाती है। NEET UG का स्कोर ही प्री‑मैडिकल प्रवेश के लिए मुख्य आधार होता है, इसलिए इस परीक्षा की तैयारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
इस परीक्षा के आसपास तीन मुख्य घटक घुमते हैं: प्री‑मैडिकल प्रवेश, जिन छात्रों ने NEET UG में योग्य स्कोर हासिल किया है, उन्हें विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में सीटें उपलब्ध कराता है, काउंसिलिंग प्रक्रिया, एक सरकारी और निजी संस्थाओं द्वारा आयोजित तह है जिसमें छात्रों को उनके स्कोर के आधार पर कॉलेज और कोर्स आवंटन किया जाता है और परीक्षा पैटर्न, 120 प्रश्नों के साथ 180 मिनट का टेस्ट, जिसमें भौतिकी, रसायनशास्त्र और जीव विज्ञान के प्रत्येक सेक्शन के 40 प्रश्न होते हैं। ये तीनों घटक एक-दूसरे को पूरा करते हैं: प्री‑मैडिकल प्रवेश का आधार NEET UG स्कोर है, काउंसिलिंग प्रक्रिया इस स्कोर को वास्तविक कॉलेज सीट में बदलती है, और परीक्षा पैटर्न वह तंत्र है जो इस स्कोर को निर्धारित करता है।
क्या आप इस तरह की स्पष्ट रेखा देख रहे हैं? NEET UG → प्री‑मैडिकल प्रवेश → काउंसिलिंग प्रक्रिया, यही क्रम है जो छात्रों के भविष्य को आकार देता है। इस कनेक्शन को समझना तैयारी को व्यवस्थित करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, अगर परीक्षा पैटर्न में फ्रेंच विकल्प या सत्रिक प्रश्न पूछे जाएँ, तो उन क्षेत्रों में अतिरिक्त अभ्यास आवश्यक हो जाएगा। वहीँ काउंसिलिंग में सीट की उपलब्धता, राज्य‑कोटा और एफ़एससी (All India Quota) जैसी बातें आती हैं, जो छात्रों को यह तय करने में मदद करती हैं कि उन्हें किन पाठ्यक्रमों और कॉलेजों के लिए ढालना चाहिए।
अब बात करते हैं तैयारियों की। सबसे पहले, सिलेबस को समझें – जीव विज्ञान के दो भाग (बोटनी, ज Zoology) और फिजिक्स‑केमिस्ट्री के बेसिक कॉन्सेप्ट्स। फिर, टाइम‑टेबल बनाएं जिसमें रोज़ कम से कम दो घंटे फिजिक्स‑केमिस्ट्री और चार घंटे जीव विज्ञान को दें। यह संतुलन इसलिए जरूरी है क्योंकि पिछले साल के डेटा दिखाते हैं कि जीव विज्ञान के प्रश्न अधिक अंक लाते हैं, पर फिजिक्स‑केमिस्ट्री के सही जवाब से नकारात्मक मार्किंग से बचा जा सकता है।
एक और जरूरी कदम – प्रैक्टिस टेस्ट। हर दो हफ्ते में एक मॉक टेस्ट दें, उसका विश्लेषण करें, और कमजोर क्षेत्रों को दोहराएँ। कई छात्र कहते हैं कि मॉक टेस्ट से समय प्रबंधन का अभ्यास मिलता है और रीयल‑एक्जाम में तनाव कम होता है। साथ ही, स्कोरिंग रणनीति, कोई भी प्रश्न जिसे आप 30 सेकंड से अधिक समय में नहीं सॉल्व कर पा रहे हों, उसे स्किप करके बाद में दोबारा देखें की आदत डालें। यह रणनीति परीक्षा में क्रमबद्धता बनाए रखती है और अनावश्यक अंक नुकसान से बचाती है।
यदि आप अभी भी इस बात को लेकर उलझे हैं कि कौन से संसाधन अपनाएँ, तो सरकारी पोर्टल पर उपलब्ध पिछले साल के प्रश्न पत्र, वास्तविक पैटर्न, कठिनाई स्तर और अंक वितरण को समझने में मददगार होते हैं को डाउनलोड करें। साथ ही, कई मोबाइल एप्प्स में दीर्घकालिक डिटेल्ड एनालिसिस उपलब्ध है, जिससे आप अपने प्रगति को ट्रैक कर सकते हैं।
सभी पहलुओं को मिलाकर देखें तो NEET UG सिर्फ एक परीक्षा नहीं, बल्कि एक पूरी प्रक्रिया है जो छात्रों को मेडिकल प्रोफ़ेशन में जगह दिलाने के लिए डिज़ाइन की गई है। इस प्रक्रिया में आपका पहला कदम सिलेबस समझना, दूसरा कदम निरंतर अभ्यास, तीसरा कदम मॉक टेस्ट और अंत में काउंसिलिंग में सही विकल्प चुनना है। नीचे आप विभिन्न लेख, टिप्स और अपडेट देखेंगे जो आपको इन सभी चरणों में मदद करेंगे। तैयार हैं? चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि इस साल की NEET UG में क्या नया है, कौन से बदलाव आए हैं और कैसे आप अपना स्कोर बढ़ा सकते हैं।
NEET UG परीक्षा में पेपर लीक के आरोपों से विपक्षी नेताओं ने तीखी आलोचना की है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि केवल अफसरों की अदला-बदली से समाधान नहीं होगा। छात्रों को न्याय दिलाने के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराने की मांग की है। NEET-PG परीक्षा भी स्थगित कर दी गई है।