जब हम नागरिक अधिकार, वो मौलिक अधिकार जो भारतीय संविधान में गढ़े गये हैं. इसको कभी‑कभी सिविल राइट्स भी कहा जाता है। इन अधिकारों में शिक्षा अधिकार, हर बच्चे को मुफ्त और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिलने का हक और स्वास्थ्य अधिकार, सभी नागरिक को उचित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना शामिल हैं। नागरिक अधिकार के बिना लोकतंत्र की बुनियाद कमजोर पड़ती है – यह सिद्धान्त एक स्पष्ट त्रिपदी बनाता है: “नागरिक अधिकार लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाते हैं”, “शिक्षा अधिकार नागरिक अधिकार का हिस्सा हैं”, “स्वास्थ्य अधिकार नागरिक अधिकार में गिने जाते हैं”. इन संबंधों को समझना हमारे रोज़मर्रा के फैसलों को प्रभावित करता है।
समता अधिकार, यानी समानता अधिकार, जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव न करने का मूल सिद्धान्त, आज के बहस में अक्सर आता है। जलवायु परिवर्तन से जुड़ी पर्यावरणीय न्याय भी अब नागरिक अधिकारों की सीमा में गिना जाता है, क्योंकि स्वच्छ वायु और पानी को बरकरार रखना सभी की गारंटी बन चुका है। इसी तरह रोजगार अधिकार, हर व्यक्ति को गरिमापूर्ण काम और उचित वेतन मिलने का अधिकार को सरकार की नीति में प्रमुखता मिली है, जैसे कि हालिया RTE सुधार में निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को 25% सीटें देना। यह दिखाता है कि “समानता अधिकार सामाजिक समृद्धि को बढ़ावा देता है” और “रोजगार अधिकार आर्थिक स्वतंत्रता को सशक्त बनाता है” – दो और त्रिपदी जो नागरिक अधिकार के विस्तृत ढाँचे को दर्शाती हैं.
डिजिटल युग में सूचना का अधिकार और भाषण की स्वतंत्रता भी नागरिक अधिकार की नई शाखा बन गई हैं। सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला कि निजता मौलिक अधिकार है, ऑनलाइन डेटा के उपयोग को कड़ी निगरानी की माँग करता है। साथ ही साइबर अपराध के बढ़ते मामलों के कारण डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर अभिव्यक्ति की सीमाओं पर लगातार चर्चा चल रही है। इन मुद्दों से पता चलता है कि “डिजिटल स्वतंत्रता नागरिक अधिकार के विस्तार में मदद करती है” और “सूचना का अधिकार पारदर्शिता को बढ़ावा देता है”. इसलिए इंटरनेट पर सुरक्षित रहने, अपनी राय व्यक्त करने और सरकारी जानकारी को सही‑समय पर पहुँचाने की क्षमता अब नागरिक अधिकारों का अभिन्न भाग बन गई है.
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भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए सरकार ने पूरे वर्ष संविधान दिवस के रूप में जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इस आयोजन में एक विशेष सिक्का और डाक टिकट जारी करना शामिल है, साथ ही एक वेबसाइट भी लॉन्च की जाएगी जहाँ आम नागरिक प्रस्तावना पढ़ सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगे।