जब हम बात लू, एक तीव्र, शुष्क गरमी की हवा है जो उत्तर भारत में मई‑जून के बीच बहती है की करते हैं, तो अक्सर यही सोचते हैं कि यह सिर्फ गर्मी का एक नाम है. असल में लू एक पूर्ण मौसम तत्व है, जिसकी अवधि (Attributes) आमतौर पर दो‑तीन हफ्ते रहती है, तापमान (Values) 45‑50°C तक पहुँच सकता है और यह सीधे स्वास्थ्य, कृषि और दैनिक जीवन को प्रभावित करता है. लू के कारण जल‐स्रोत तेज़ी से सूखते हैं, फसलें तनाव में आती हैं और लोग डीहाइड्रेशन, थकान तथा त्वचा‑सम्बन्धी समस्याओं से जूझते हैं. यही कारण है कि लू को समझना, उचित उपाय अपनाना और इससे जुड़ी खबरें पढ़ना हर नागरिक के लिए जरूरी है.
लू से गर्मियों की लू, इसे विशेष रूप से औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों में ‘हॉट ड्रीफ़्ट’ कहा जाता है के रूप में भी जाना जाता है. इस संबंध को समझने से हमें पता चलता है कि लू के संघर्ष में मौसम, स्थानीय वायु प्रवाह, दबाव और आर्द्रता का सम्मिश्रण है कैसे बदलता है. गर्मियों की लू का मुख्य प्रभाव तापमान में अचानक वृद्धि है, जो कि धूप‑धूप वाले क्षेत्रों में सत्रह‑आठ घंटों तक लगातार रहता है. इससे ऊर्जा मांग बढ़ती है, एयर‑कंडीशनर चलाने की जरूरत बढ़ती है और बिजली ग्रिड पर दबाव पड़ता है. यही कारण है कि कई शहरों में लू के दौरान बिजली कटौती की समस्या उठती है. इस संदर्भ में हमने कई लेखों को संकलित किया है, जिसमें लू के कारण बिजली ग्रिड पर क्या असर पड़ता है, इस पर विस्तृत विश्लेषण दिया गया है.
स्वास्थ्य, लू के दौरान शरीर में पानी की कमी और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बिगड़ने से कई रोग उत्पन्न होते हैं भी एक बड़ा मुद्दा बन जाता है. लू के समय धूप में बाहर रहने से हीट स्ट्रोक, त्वचा जलन और साँसों की समस्याएँ आम हो जाती हैं. डॉक्टर अक्सर सलाह देते हैं कि लू के दौरान दिन के सबसे गरम घंटों (11 बजे से 4 बजे तक) में बाहर निकलने से बचें, पर्याप्त पानी पिएँ और हल्के कपड़े पहनें. विशेष रूप से बुजुर्ग, बच्चे और बुखार वाले रोगियों को लू के असर से बचाने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए. हमारे संग्रह में लू के दौरान हेयर ग्रोथ, स्किन केयर और डाइट संबंधित टिप्स भी शामिल हैं, जिससे आप इस कठिन मौसम में भी स्वस्थ रह सकें.
लू एक जटिल परंतु समझने में आसान प्रणाली है. यदि हम इसे तीन प्रमुख घटकों में बाँटें – वायु गति, तापमान वृद्धि और आर्द्रता में कमी – तो हर प्रभाव को स्पष्ट रूप से ट्रैक किया जा सकता है. पहला, वायु गति का तेज़ चलना धूल और छोटे कणों को हवा में उठाता है, जिससे श्वसन रोगों का जोखिम बढ़ता है. दूसरा, तापमान की अचानक बढ़ती गर्मी शरीर के कोर तापमान को बढ़ा देती है, जिससे हाइड्रेशन की जरूरत दो गुना हो जाती है. तीसरा, आर्द्रता में कमी शरीर को जल्दी सूखाती है, जिससे त्वचा की नमी घटती है और एलेर्जिक प्रतिक्रियाएँ प्रकट होती हैं. इन तीन तत्वों के बीच का संबंध एक त्रिकोणीय (semantic triple) संरचना बनाता है: "लू में वायु गति से धूल बढ़ती है", "वृद्ध तापमान से हाइड्रेशन की जरूरत बढ़ती है", और "कम आर्द्रता से त्वचा जलन होती है". इस त्रिकोण को समझने से हम बेहतर तैयारी कर सकते हैं, जैसे कि एयर प्यूरीफायर, ह्यूमिडिफायर और पर्याप्त पानी के साथ अपनी दिनचर्या में बदलाव.
कृषि के संदर्भ में लू का प्रभाव अनदेखा नहीं किया जा सकता. फसलों के लिए लू का अचानक तापमान शॉक, फूलों के बंकिंग और धान जैसी पानी‑गहन फसलें सख़्त पड़ती हैं. किसान अक्सर लू के दौरान जल‑सिंचाई की बढ़ी हुई जरूरत, मिट्टी की जलधारण क्षमता में कमी और कीट‑रोग संक्रमण की संभावना देखते हैं. हमारी सामग्री में लू‑सुरक्षित फसल चयन, जल बचत तकनीक और कीट‑नियंत्रण के उपायों पर विस्तृत लेख शामिल हैं, जो आपको इस मौसम में बेहतर फ़सल उत्पन्न करने में मदद करेंगे.
उपर्युक्त चर्चा से स्पष्ट है कि लू सिर्फ एक मौसम नहीं, बल्कि एक व्यापक सामाजिक‑आर्थिक घटना है, जिसका असर दैनिक जीवन के कई पहलुओं में पड़ता है. अब आप जान चुके हैं कि लू, मौसम, स्वास्थ्य और कृषि कैसे परस्पर जुड़ते हैं, और कौन‑से उपाय इस प्रभाव को कम कर सकते हैं. नीचे दी गई लेख सूची में आपने लू‑संबंधी विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत रिपोर्ट, टिप्स और विश्लेषण पाएँगे – चाहे वह डीआईवाली के बैंक अवकाश की जानकारी हो, या ओला इलेक्ट्रिक की नई तीन‑पहिया लॉन्च की घोषणा, या फिर क्रिकट के मैच‑शेड्यूल. इन पोस्टों को पढ़कर आप लू के मौसम में बेहतर तैयारियाँ कर पाएँगे और अपने जीवन को सहज बना सकेंगे.
जम्मू-कश्मीर और उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में लू का प्रकोप जारी है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में तापमान 43 से 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। मॉनसून की उत्तरी सीमा कई दिन से जस की तस है, जिससे आम जनजीवन बेहाल है।
दिल्ली में अप्रैल 2025 की शुरुआत में लू के गंभीर हालात दर्ज किए गए हैं, जब तापमान 40.2°C तक पहुंच गया। मौसम विभाग ने दिल्ली-एनसीआर के लिए येलो अलर्ट जारी किया है, जबकि राजस्थान और गुजरात के कुछ इलाकों में रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी हुए हैं। उत्तर और मध्य भारत में भीषण गर्मी की संभावना के कारण जनता को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। 10 अप्रैल के बाद कुछ स्थानों पर आंधी और तापमान में गिरावट के संकेत हैं।