जब बात केंद्र सरकार, भारत की संप्रभु शक्ति जो सभी प्रमुख नीति‑निर्धारण करती है. संसदीय लोकतंत्र की भूमिका समझना जरूरी है। यह संस्था वित्त मंत्रालय, कर, बजट और सार्वजनिक खर्च पर निर्णय लेता है को शामिल करती है, और साथ ही रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया, राष्ट्रीय मौद्रिक नीति को लागू करता है के साथ मिलकर आर्थिक दिशा निर्धारित करता है। वित्त मंत्रालय बैंक अवकाश जैसे सार्वजनिक सूचनाएँ जारी करने में प्रमुख भूमिका निभाता है, जिससे नागरिकों की दैनिक गतिविधियों पर सीधा असर पड़ता है।
केंद्रीय चुनाव परिणाम और राज्य‑स्तर की ताकत भी केंद्र सरकार की स्थिरता को दर्शाते हैं। 2025 के चुनावों में कई राज्यों में नई विपक्षी गठबंधन और भाजपा‑की‑केंद्र के बीच तालमेल ने नीति‑निर्धारण को प्रभावित किया है, जैसे गुजरात में नई मंत्रिचोटी या कर्नाटक में कांग्रेस की जीत। इसी तरह, RBI की मौद्रिक नीति और सार्वजनिक वित्तीय योजना के बीच संबंध राष्ट्रीय विकास को गति देता है। इन सभी घटकों का आपसी असर दिखाता है कि कैसे केंद्र सरकार, वित्त मंत्रालय और RBI एक‑दूसरे को संतुलित करते हुए आर्थिक एवं सामाजिक स्थिरता की राह बनाते हैं।
नीचे आप विभिन्न लेखों में देखेंगे कि कैसे ये संस्थाएँ विभिन्न क्षेत्रों—क्रिकेट आयोजन, बैंक अवकाश, आईपीओ नियमन, शिक्षा वीज़ा, और आपदा प्रबंधन—में अपनी भूमिका निभा रही हैं। इस संग्रह में आप नीति‑विश्लेषण, प्रमुख आँकड़े और वास्तविक‑जीवन प्रभावों की समझ पाएँगे, जिससे आपका ज्ञान और नजरिया दोनों विस्तृत होंगे। अब आगे पढ़िए और जानिए कैसे ये तत्व आपके रोज़मर्रा के अनुभव को आकार देते हैं।
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की प्रक्रिया ने एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है। केंद्र सरकार आवश्यक प्रक्रियाओं में प्रगति कर रही है, जिससे इसके पूर्ण राज्य के दर्जे में फिर से बहाली हो सके। हालांकि, हालिया संशोधनों ने लेफ्टिनेंट गवर्नर की शक्तियों को बढ़ाते हुए इसका रास्ता लंबा और अनिश्चित बना दिया है, जिससे स्थानीय असंतोष बढ़ने लगा है।