कालरात्रि – त्यौहार की रौशनी और रीति‑रिवाज़

जब हम कालरात्रि, हिंदू पंचांग में अंजुशिया दर्जा की अंधेरी रात, जो मां काली के दस रूपों में से एक है. Also known as काली रात्रि, यह त्यौहार अंधकार के अंत और प्रकाश के आगमन को दर्शाता है, तो कई सवाल मन में आते हैं – कब मनाया जाता है, कौन‑से आयोजन होते हैं, और क्यों बैंक अवकाश की घोषणा की जाती है? इन सभी सवालों के जवाब नीचे की सूची में मिलने वाले लेखों में मिलेंगे।

कालरात्रि का सीधा संबंध दिवाली, भारत में सबसे बड़े प्रकाश‑पर्व की रात से है; दिवाली के पाँच दिन पहले ही यह रात्रि आती है, जिससे अंधेरे से उजाले की यात्रा पूर्ण होती है। साथ ही धनतेरस, लक्ष्मी जी का स्वागत करने वाला दिन, जो धन‑संपदा के लिए शुभ माना जाता है भी इस श्रृंखला में शामिल है। इन तीन मुख्य घटनाओं को मिलाकर हम एक पूर्ण रात्रि उत्सव का चित्र देख सकते हैं – जहाँ कालरात्रि अंधेरे को समाप्त करती, दीवाली प्रकाश बिखेरती, और धनतेरस आर्थिक समृद्धि लाती। यह त्रयी केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक पहलुओं को भी जोड़ती है; इस कारण बैंक अवकाश जैसे निर्णय भी इस अवधि में होते हैं, क्योंकि कई लोग इस चरण में यात्रा, खरीदारी और पूजा‑पाठ में व्यस्त रहते हैं।

कालरात्रि से जुड़े प्रमुख पहलू और आज के संदर्भ

आज के भारत में, भारतीय बैंक, वित्तीय संस्थाओं का राष्ट्रीय नेटवर्क अक्सर इस रात्रि‑दिवाली अवधि में शाखा बंद कर देते हैं। यह बंद होना केवल औपचारिक नहीं; यह लोगों को त्यौहार की तैयारी में सुविधा देता है, जिससे डिजिटल लेन‑देनों पर ज़ोर दिया जाता है और भीड़‑भाड़ वाली शाखाओं से बचाव होता है। एक और महत्वपूर्ण पहलू है सामाजिक जागरूकता – कई राज्य सरकारें इस मौके पर विशेष यात्रा, रात्रि मेले और सुरक्षा उपायों की घोषणा करती हैं, जिससे सार्वजनिक जीवन में सुरक्षित और नियंत्रित माहौल बना रहे। हमारे लेखों में इस वर्ष के विशिष्ट बैंक अवकाश सूची, धनतेरस के शांति‑मुहूर्त, और दिवाली के प्रमुख आयोजनों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। इन सभी बिंदुओं को समझना आसान नहीं लगता, लेकिन जब आप कालरात्रि को एक बड़े समारोह‑चक्र का हिस्सा मानेंगे, तो इसका महत्व स्पष्ट हो जाता है। हम यहाँ आपको इस रात्रि के इतिहास, धार्मिक अनुष्ठान, आर्थिक प्रभाव और स्थानीय प्रशासनिक कदमों को सहज भाषा में समझाते हैं, ताकि आप अपने परिवार, व्यवसाय या यात्रा की योजना बनाते समय पूरी जानकारी के साथ तैयार हों। अब नीचे दी गई लेख श्रृंखला को पढ़ें, जहाँ प्रत्येक पोस्ट इस पर्व के एक‑एक पहलू को विस्तार से बताता है – चाहे वह RBI की नई अवकाश घोषणा हो, या गुजरात‑बिहार में अतिरिक्त दिन‑छुट्टी के बारे में अपडेट।

चैत्र नववर्ष 2025 की सातवी: देवी कालरात्रि की पूजा विधि, कथा और लाभ
चैत्र नववर्ष 2025 की सातवी: देवी कालरात्रि की पूजा विधि, कथा और लाभ

चैत्र नववर्ष 2025 की सातवी (4 अप्रैल) को देवी कालरात्रि की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन हरा वस्त्र, गुड़ के भोग और विशेष पुष्प अर्पित किए जाते हैं। कवि‑कथाओं में कालरात्रि ने शुम्भ‑निशुम्भ जैसे दानवों को समाप्त किया। मंत्रजप और सही मुहूर्त से डर, नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

सित॰, 27 2025