हिजबुल्लाह: मध्य‑पूर्व में इसकी भूमिका और प्रभाव

जब हम हिजबुल्लाह, लेबनान में स्थापित एक शिया मिलिशिया‑राजनीतिक संगठना है, जो 1980 के दशक में इज़राइल के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष से शुरू हुई। Also known as हेज़्बोला, यह समूह स्थानीय राजनीति, सामाजिक सेवा और सशस्त्र कार्रवाई को मिलाकर अपनी ताकत बनाता है। इस लेख में हम बताएँगे कि हिजबुल्लाह कैसे लेबनान, ईरान और इज़राइल के बीच जटिल संबंधों को आकार देता है।

लेबनान, एक छोटे आकार का मध्य‑पूर्वी देश है जहाँ कई धार्मिक और राजनीतिक साम्प्रदायिक समूह रहते हैं में हिजबुल्लाह का प्रभाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। 1990 के बाद से उसने सरकारी संस्थानों में भागीदारी बढ़ा कर खुद को एक वैध राजनैतिक शक्ति में रूपांतरित किया है। शहरी इलाकों में स्वास्थ्य क्लिनिक, स्कूल और सड़क निर्माण जैसी सामाजिक परियोजनाएँ उसकी नागरिक समर्थन को मजबूत करती हैं, जबकि सशस्त्र शाखा सीमा पार हमलों और इज़राइली सुरक्षा बलों के साथ टकराव में सक्रिय रहती है। इस दोहरी रणनीति ने लेबनान के भीतर उसकी लोकप्रियता को स्थायित्व दिया है, खासकर दक्षिणी शिया आबादी में।

ईरान, छह‑सतन वाला इस्लामिक गणराज्य है जो हिजबुल्लाह को वित्तीय, प्रशिक्षण और हथियारों के माध्यम से समर्थन देता है। ईरान का लक्ष्य इस क्षेत्र में एक शिया धुरी बनाना है, और हिजबुल्लाह को वह पुल मानता है जो लेबनान को उसके रणनीतिक योजनाओं से जोड़ता है। ईरान‑हिजबुल्लाह गठबंधन न केवल हथियारों की आपूर्ति करता है, बल्कि उन्नत युद्ध रणनीतियों और प्रोपेगैंडा कौशल भी साझा करता है। इस सहयोग के कारण हिजबुल्लाह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सजा‑सूचियों में डाला गया है, लेकिन साथ ही वह ईरानी नीति के लिए एक भरोसेमंद एजेंट भी बन गया है।

इज़राइल, एक यहूदी-बहुल राज्य है जो उत्तरी सर्विस में लेबनानी सीमा पर कई सैन्य संघर्षों का शिकार रहा है के साथ हिजबुल्लाह के संबंध प्रतिद्वंद्विता और तनाव के रूप में परिभाषित हैं। इज़राइल अक्सर हिजबुल्लाह को अपना प्रमुख संभावित खतरा बताता है, क्योंकि उसकी रॉकेट क्षमताएँ और ग्रुप की अंतरराष्ट्रीय समर्थन नेटवर्क इज़राइल के उत्तर में उसकी ध्वनि शक्ति को बढ़ाते हैं। दोनों पक्षों ने कई सीमावर्ती हमले, हवाई अड्डे पर सस्पेस हमले, और साइबर हमलों के साथ संघर्ष किया है। इस लगातार रणनीतिक टकराव ने मध्य‑पूर्व में सुरक्षा परिदृश्य को जटिल बना दिया है।

हिजबुल्लाह से जुड़े प्रमुख पहलू

हिजबुल्लाह का संचालन तीन मूल स्तंभों पर टिका है: सेना, राजनीति और सामाजिक सेवा। सेना का हिस्सा रॉकेट लैन्चर, ड्रोन और असामान्य युद्ध तकनीकें इस्तेमाल करता है, जबकि राजनीति में वह लेबनानी संसद में प्रतिनिधित्व रखता है और कई सरकारी गठबंधनों का हिस्सा है। सामाजिक सेवा के तहत वह स्वास्थ्य, शिक्षा और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करता है, जिससे वह आम लोगों के दिल में जगह बनाता है। इसके अलावा, मीडिया‑प्रचार रणनीति भी उसकी ताकतों में गिनी जाती है; हिजबुल्लाह के आधिकारिक प्रसारण चैनल और सोशल मीडिया खातों से वह अपनी कथा को निर्मित करता है, जिससे स्थानीय और वैश्विक दोनों दर्शकों को आकर्षित करता है।

आजकल हिजबुल्लाह का प्रभाव केवल लेबनान तक सीमित नहीं रहा; वह सिरीयर, सीरिया, और कभी‑कभी इराक में भी अपने सहयोगियों के साथ संयुक्त अभियानों में हिस्सा लेता है। यह विस्तार उसकी इरानी प्रायोजन को दर्शाता है, जो मध्य‑पूर्व में एक समन्वित शिया नेटवर्क बनाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही, हिजबुल्लाह का गठबंधन अक्सर यूएस और यूरोपीय देशों द्वारा तालिबान या अल‑कायदा जैसी अन्य आतंकवादी संगठनों के साथ तुलना में उभरा है, जो उसकी अंतरराष्ट्रीय नीति पर प्रभाव को दिखाता है।

इन सभी पहलुओं को समझने से आप यह देख सकते हैं कि हिजबुल्लाह क्यों एक जटिल, बहु‑आयामी इकाई है—जो केवल एक मिलिशिया नहीं, बल्कि सामाजिक सेवाओं, राजनैतिक प्रभाव और बाहरी सहयोग का मिश्रण है। नीचे की सूची में आप इस संदर्भ में नवीनतम समाचार, विश्लेषण और संबंधित रिपोर्ट देखेंगे, जिससे आपका ज्ञान और भी गहरा हो सकेगा।

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इस्राइल ने बेरूत पर बमबारी को तेज किया और उत्तरी गाजा में घुसपैठ शुरू की, जिससे हिजबुल्लाह और हमास के साथ तनाव बढ़ गया है। इस्राइली सेना ने दावा किया है कि उसके हमलों में हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया गया, लेकिन कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया। संघर्ष के चलते गाजा में 42,000 फिलिस्तीनी और लेबनान में 2,000 से अधिक लोग मारे गए हैं।

अक्तू॰, 7 2024