जब बात भाजपा रणनीति, भाजपा द्वारा चुनाव जीतने के लिये तैयार की गई विस्तृत योजना. इसे अक्सर भाजपा की चुनावी रणनीति कहा जाता है, तो यह भाजपा, भारत की प्रमुख राष्ट्रीयवादी पार्टी की उम्मीदवार चयन, हर क्षेत्र में जीत की संभावना बढ़ाने के लिये परिधान‑आधारित कस्टमाइज्ड प्रोफ़ाइल से जुड़ी होती है। साथ ही राजनीतिक गठबंधन, विचारधारा‑संगत दलों के साथ गठजोड़ भी इस योजना में अहम भूमिका निभाती है। लक्ष्य है 2027 राष्ट्रीय चुनाव, अगला लोकसभा चुनाव जिसके लिए अब से तैयारियां चल रही हैं।
भाजपा रणनीति का पहला मोर्चा होता हैउम्मीदवार चयन। गुजरात के हालिया रियुसेप में हरष संगवी को डिप्टी सीएम बनाना और 19 नए मंत्रियों को शामिल करना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि पार्टी सीट‑बाय‑सीट ताकत को पुनर्स्थापित करने की कोशिश कर रही है। ऐसा कदम सिर्फ विधानसभा को नहीं, बल्कि भविष्य के लोकसभा उम्मीदवारों के लिए आधार तैयार करने में मदद करता है। इसलिए प्रत्येक उम्मीदवार की योग्यता, सामाजिक आधार और क्षेत्रीय संतुलन को आंकना अनिवार्य है।
भाजपा हमेशा अकेले नहीं जीतती; उसका आध्यात्मिक आधार अक्सर छोटे‑छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन में रहता है। कर्नाटक चुनाव 2023 में भाजपा की भारी हार ने संकेत दिया कि बिना मजबूत गठजोड़ के बड़े इलेक्शन में बाधा आ सकती है। इसलिए रणनीति में विपक्षी गठजोड़, जैसे कि कॉकटेल‑दाओस या स्थानीय दलों के साथ समझौते, को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाता है। इससे मतदाताओं के विविध वर्गों तक पहुंच आसान होती है और वोट‑शेयर को सुरक्षित किया जा सकता है।
डिजिटलीकरण और सोशल मीडिया ने रणनीति को नया आयाम दिया है। ओला इलेक्ट्रिक के ‘राहि’ लॉन्च की खबर ने दिखाया कि इलेक्ट्रिक‑मोबिलिटी को साक्षरता के साथ जोड़कर युवा वर्ग को आकर्षित किया जा सकता है। इसी तरह, भाजपा अपनी अभियान में तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करके युवा वोटर को लक्षित करती है। डेटा‑ड्रिवेन विज्ञापन, मोबाइल एप्लिकेशन और लाइट-हाउसिंग आउटरीच के माध्यम से पार्टी अपने संदेश को तेज़ी से पहुँचाती है।
ग्राउंड‑लेवल ऑर्गनाइजेशन भी रणनीति के इंटर्नल मोटर जैसा है। उत्तर प्रदेश में नई RTE नियमावली ने निजी स्कूलों में 25% सीटें गरीब छात्रों को दीं, जिससे सामाजिक न्याय के मुद्दे पर पार्टी की छवि मजबूत बनती है। ऐसा काम स्थानीय इंटर्न, स्वयंसेवक और एजीएम्स के माध्यम से किया जाता है, जिससे प्रत्येक ग्राम तक पार्टी की आवाज़ पहुंचती है। यह बेसिक स्ट्रक्चर चुनाव के दिन क़दम‑से‑क़दम मतदान को सुनिश्चित करता है।
इन सभी तत्वों को मिलाकर भाजपा रणनीति एक जटिल लेकिन व्यवस्थित ढांचा बन जाता है, जिसमें उम्मीदवार चयन, गठबंधन, डिजिटल अभियान और जमीनी संगठन का संतुलित मिश्रण होता है। नीचे दिए गए लेखों में आप देखेंगे कि गुजरात की नई मंत्रिपरिवार, ओला इलेक्ट्रिक की नई योजना, कर्नाटक की चुनावी नतीजे और कई अन्य मामलों में यह रणनीति कैसे लागू हुई। आगे पढ़ते हुए आप यह समझ पाएंगे कि पार्टी किस प्रकार से 2027 राष्ट्रीय चुनाव को जीतने के लिये अपनी तैयारियों को आकार दे रही है।
भाजपा ने बिहार विधानसभा चुनावों के लिए धर्मेंद्र प्रधान को इन्चार्ज नियुक्त किया है। उनकी 10 साल की बिहार जुड़ी देनदारियों, हरियाणा 2024 जीत और कई राज्यों की सफल मोहिमें इस फैसले की मुख्य वजह हैं। दो सह‑इन्चार्जों के साथ नई टीम बनाकर पार्टी विकास, कानून व्यवस्था और सामाजिक न्याय पर ध्यान केंद्रित करेगी।