राहुल गांधी के सिखों और भारत पर बयान: भाजपा की आलोचना और खालिस्तान समर्थकों का समर्थन
सित॰, 12 2024हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेरिका दौरे पर दिए गए अपने बयानों से एक बड़ी बहस छेड़ दी है। लोकसभा में विपक्ष के नेता (LoP) राहुल गांधी ने सिखों और भारत को लेकर बयान दिए जो भाजपा और सिख समुदाय की तरफ से कड़ी आलोचना का शिकार हुए हैं। वर्जिनिया के हर्नडन में हुए एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में चर्चा की और कहा कि यह लड़ाई इस बात की है कि क्या एक सिख व्यक्ति पगड़ी, कड़ा पहन सकता है और गुरुद्वारा जा सकता है।
राहुल गांधी के यह बयान तथ्यात्मक रूप से गलत साबित हुए और इसकी वजह से उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा। भारत में सिखों को पगड़ी और कड़ा पहनने की पूरी आजादी है, इतना ही नहीं, वे घरेलू उड़ानों में किरपान भी ले सकते हैं। इस बयान पर भाजपा और सिख समुदाय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इस बयान को न सिर्फ गलत माना बल्कि यह भी कहा कि सिखों के अस्तित्व के लिए वास्तविक खतरा 1984 के विरोधी सिख कार्यक्रम के समय था। उस वक्त कांग्रेस सरकार सत्ता में थी।
खालिस्तानी आतंकी का समर्थन
गांधी के इस बयान का खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नून ने अपने एजेंडे के समर्थन में उपयोग किया। पन्नून ने गांधी के बयान को खालिस्तान राज्य की मांग को सही ठहराने के लिए इस्तेमाल किया, जिससे यह मामला और भी गरमा गया। भाजपा ने राहुल गांधी पर 'विदेशी धरती पर भारत को नीचा दिखाने' का आरोप लगाया, खास करके जब वे विपक्ष के नेता हैं।
भाजपा का कड़ा रुख
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी के बयानों की कड़ी निंदा की और कहा कि गांधी और उनकी पार्टी कांग्रेस के लिए 'राष्ट्र विरोधी बयान' देने की आदत सी हो गई है। शाह ने कहा कि इस तरह के बयान न केवल देशवासियों की भावनाओं को आहत करते हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं।
भाजपा ने यह भी तर्क दिया कि जब कांग्रेस खुद सिखों के दर्दनाक इतिहास के लिए जिम्मेदार है, तब राहुल गांधी का यह बयान व्यर्थ और गुमराह करने वाला है। 1984 के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस की भूमिका को लेकर हमेशा से विवाद रहा है, और इसी को आधार बनाते हुए भाजपा ने राहुल गांधी पर कड़ी टिप्पणी की।
कांग्रेस की सफाई
कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी के बयान का बचाव करते हुए कहा कि यह बयान भाजपा की नीतियों के खिलाफ और धर्मनिरपेक्षता के पक्ष में था। उन्होंने कहा कि गांधी ने यह बातें व्यापक संदर्भ में कही थीं, जिसमें अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जा रही थी। कांग्रेस का दावा था कि गांधी का बयान भाजपा की हिजाब विरोधी नीति और मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा पर ध्यान आकर्षित करने के लिए था।
इस विवाद ने देश में एक बार फिर धर्मनिरपेक्षता, धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर बहस छेड़ दी है। राहुल गांधी के बयान ने ना केवल देश के भीतर की राजनीति को गरमा दिया बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे चर्चा का विषय बना दिया।
अंतिम विचार
राहुल गांधी और भाजपा दोनों के लिए यह विवाद एक संवेदनशील मुद्दा है और इससे उबरने के लिए उन्होंने अपने-अपने तर्कों को पेश किया। इस पूरे प्रकरण ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत में धर्म, राजनीति और अधिकारों की मुद्दों पर चर्चा हमेशा ही संवेदनशील रही है और आगे भी इसपर चर्चाएं जारी रहेंगी।