केंद्र सरकार ने दी 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' प्रस्ताव को मंजूरी, NDA समर्थकों से बड़ा समर्थन
सित॰, 19 2024'एक राष्ट्र, एक चुनाव' प्रस्ताव की मंजूरी
भारत सरकार ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जो कि देशभर में चुनावों को एक साथ आयोजित करने का लक्ष्य रखता है। यह कदम देश के चुनावी इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है क्योंकि इससे न केवल चुनावों की आवृत्ति को कम किया जा सकेगा बल्कि इससे होने वाले खर्चों में भी पर्याप्त कमी आएगी।
उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति ने इस वर्ष मार्च में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी। इस रिपोर्ट के बाद सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी देने का निर्णय लिया। प्रस्ताव का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ आयोजित कर, प्रशासनिक और आर्थिक गतिविधियों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करना है।
NDA समर्थकों का समर्थन
इस प्रस्ताव को नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) के प्रमुख सहयोगियों का समर्थन मिला है। इस समर्थन से NDA को बड़ा बल मिला है और यह दिखाता है कि गठबंधन में इस सुधार के प्रति एकता है। NDA के समर्थन से यह संशोधन आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी और यह केंद्र सरकार के चुनाव सुधार एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रस्ताव का उद्देश्य
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की अवधारणा का मुख्य उद्देश्य चुनाव बारंबारता को कम करना और इसके साथ ही चुनावी गतिविधियों के दौरान आने वाली लागतों और व्यवधानों को सीमित करना है। इससे प्रशासनिक स्थिरता और कुशलता में भी वृद्धि होगी, क्योंकि सरकार और प्रशासनिक तंत्र को बार-बार चुनावी गतिविधियों में शामिल नहीं होना पड़ेगा।
चुनावी गतिविधियों का असर
बार-बार होने वाले चुनाव प्रशासनिक और आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। सरकारी तंत्र को चुनावी तैयारियों में व्यस्त होना पड़ता है, जिससे विकासात्मक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इसके अलावा, चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों की तैनाती और अन्य व्यवस्थाओं पर भारी खर्च होता है। 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' से इन समस्याओं को हल करने की उम्मीद है।
विकास और शासन पर ध्यान
यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो देश में चुनावों के कारण होने वाले बार-बार व्यवधानों से बचा जा सकेगा और सरकार विकास और शासन पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेगी। एक समन्वित चुनाव प्रणाली से निश्चितता और स्थिरता बढ़ेगी, जो देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रस्ताव के समक्ष चुनौतियाँ
हालांकि, इस प्रस्ताव को लागू करने में कुछ चुनौतियाँ भी हो सकती हैं। विभिन्न राज्यों में अलग-अलग चुनावी समय-सारिणी को एक साथ संरेखित करना एक जटिल मुद्दा हो सकता है। इसके अलावा, इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत पड़ सकती है, जिसके लिए व्यापक राजनीति सहमति की आवश्यकता होगी।
देशवासियों की प्रतिक्रिया
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' प्रस्ताव को जनता की मिश्रित प्रतिक्रियाएँ मिल रही हैं। कुछ लोग इसे एक अच्छा कदम मान रहे हैं जो देश को बार-बार के चुनावी व्यवधानों से मुक्ति दिलाएगा, जबकि कुछ लोगों को इसके कार्यान्वयन की व्यावहारिकता पर संदेह है।
यह प्रस्ताव देश की चुनावी प्रणाली को सुधारने के एक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जिससे न केवल चुनावी लागत में कटौती होगी बल्कि शासन और विकास में भी सुधार होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार कैसे इस प्रस्ताव को लागू करती है और इसके समक्ष आने वाली चुनौतियों का समाधान करती है।