जब बात धर्म और संस्कृति, समाज के आध्यात्मिक, सामाजिक और ऐतिहासिक पहलुओं का सम्मिलित रूप. इसे कभी‑कभी धर्म‑संस्कार भी कहा जाता है, तो यह हमारे जीवन के रीति‑रिवाज, त्यौहार और मान्यताओं को जोड़ता है। इस पेज में आप उन खबरों को पाएँगे जो इस व्यापक क्षेत्र के अलग‑अलग पहलुओं को उजागर करती हैं।
इसी क्रम में त्यौहार, धार्मिक और सामाजिक समारोह जो विशेष तिथियों पर आयोजित होते हैं. ये घटना आर्थिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्तर पर प्रभाव डालती हैं; उदाहरण के तौर पर धनतेरस पर सोना‑चांदी की खरीदारी से वित्तीय स्थिरता की उम्मीद की जाती है। त्यौहार अक्सर धर्म और संस्कृति के केंद्र में रहते हैं और लोगों के दैनिक जीवन में बदलाव लाते हैं।
पूजा, चाहे वह देवी‑देवता की हो या कोई आध्यात्मिक अभ्यास, धार्मिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा है। चैत्र नववर्ष की सातवी को देवी कालरात्रि की विशेष पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है, जबकि कार्तिक पूर्णिमा पर लक्ष्मी‑पूजन से वित्तीय लाभ की आशा की जाती है। इस तरह के अनुष्ठान धार्मिक भावनाओं को सुदृढ़ करते हैं और सांस्कृतिक पहचान को मज़बूत बनाते हैं।
एक अन्य महत्वपूर्ण घटक ज्योतिष, ग्रही स्थितियों के आधार पर भविष्यवाणियां और उपयुक्त क्षणों का निर्धारण है। धनतेरस और कार्तिक पूर्णिमा जैसे अवसरों में मुहूर्त का चयन आर्थिक सफलता और स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता है। इस प्रकार ज्योतिष धार्मिक परंपराओं को व्यावहारिक दिशा देता है, जिससे लोग सही समय पर कदम बढ़ा सकें।
धर्म और संस्कृति सिर्फ हिंदू परम्पराओं तक सीमित नहीं है; इस्लामिक कैलेंडर की शुरुआत मुहर्रम भी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। अशुरा दिवस पर इमाम हुसैन की शहादत को याद करना, इतिहास एवं धार्मिक प्रतिबद्धता को जोड़ता है। इस्लाम में इस प्रकार की यादें सामाजिक एकता और नैतिक शिक्षाओं को सुदृढ़ करती हैं, जो धर्म‑संस्कार के व्यापक दायरे में फिट होती हैं।
इतिहास का पहलू इन सभी तत्वों को समय के साथ जोड़ता है। प्रत्येक त्यौहार, पूजा या ज्योतिषीय उपाय का एक घटित पृष्ठभूमि होता है—जैसे कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली की कथा या मुहर्रम का इतिहास। इन कहानियों को समझना हमें आज की सांस्कृतिक प्रथाओं के मूलभूत कारण दिखाता है और भविष्य में इन प्रथाओं को सुरक्षित रखने में मदद करता है।
नीचे आप देखेंगे कि कैसे धनतेरस, चैत्र नववर्ष, कार्तिक पूर्णिमा और मुहर्रम जैसी प्रमुख घटनाओं पर विस्तृत लेख, टिप्स और व्याख्याएँ एक साथ प्रस्तुत की गई हैं। प्रत्येक लेख में त्यौहार की मुहूर्त, पूजा विधि, ज्योतिषीय उपाय और इतिहासिक पृष्ठभूमि का विशद विवरण है—जिससे आप अपने दैनिक जीवन में इन सांस्कृतिक आयामों को सही ढंग से लागू कर सकेंगे। अब आगे बढ़िए और इन विस्तृत समाचारों में डुबकी लगाएँ।
धनतेरस 2025 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा; न्यू‑दिल्ली और अन्य शहरों में शाम के प्रादोष काल में शुभ मुहूर्त है, जिसमें सोना‑चांदी की खरीदारी आर्थिक व स्वास्थ्य लाभ देती है।
चैत्र नववर्ष 2025 की सातवी (4 अप्रैल) को देवी कालरात्रि की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन हरा वस्त्र, गुड़ के भोग और विशेष पुष्प अर्पित किए जाते हैं। कवि‑कथाओं में कालरात्रि ने शुम्भ‑निशुम्भ जैसे दानवों को समाप्त किया। मंत्रजप और सही मुहूर्त से डर, नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
कार्तिक पूर्णिमा 2024, 15 नवंबर को, धन और समृद्धि के आशीर्वाद के लिए एक अत्यंत शुभ दिन माना गया है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से वित्तीय स्थिरता मिलती है। भगवान शिव और त्रिपुरासुर के वध की कथा भी इस दिन से जुड़ी है, जिससे देव दिवाली मनाई जाती है। इस दिन विभिन्न उपयों के माध्यम से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है।
मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है और इस्लामी नववर्ष की शुरुआत करता है। अशुरा, जो मुहर्रम के दसवें दिन पड़ता है, मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, जो इमाम हुसैन की शहादत को याद करता है। ये दिन शिया और सुन्नी मुस्लिमों के बीच विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। यह लेख अशुरा के इतिहास, महत्व और सांस्कृतिक प्रथाओं की जानकारी देता है।