41% F-1 वीज़ा रिजेक्शन, भारतीय छात्र यूएस शिक्षा में मुश्किल में

41% F-1 वीज़ा रिजेक्शन, भारतीय छात्र यूएस शिक्षा में मुश्किल में अक्तू॰, 6 2025

जब सञ्जीव राय, संस्थापक Hyderabad Overseas Consultants ने कहा कि भारतीय छात्रों को अमेरिकी F-1 वीज़ा प्राप्त करने में अब दोगुना मुश्किल हो गया है, तब ही यह खबर का असली वजन सामने आया। यू.एस. Department of State के आंकड़ों के अनुसार 2023‑2024 वित्तीय वर्ष में भारतीय आवेदकों के वीज़ा रिजेक्शन दर 41 % तक पहुंच गई, जो पिछले वर्ष के 36 % से एक बड़ी छलांग है। यह गिरावट केवल आँकड़े नहीं, बल्कि युवा कोटियों की जीवन‑यात्रा में गहरा असर है।

वर्तमान स्थिति: आँकड़ों की सच्चाई

2024 में भारतीय छात्रों की वीज़ा स्वीकृति दर 58.99 % रही, जबकि 2023 में यह 63.74 % थी – 2018 के बाद सबसे कम स्तर। पिछले दशक में उतार‑चढ़ाव रहा: 2018 में 65.03 % स्वीकृति, 2019 में 74.62 % तक उछाल, 2020 में महामारी के कारण 68.81 % और 2021 में शिखर 80.16 %। लेकिन 2022‑2024 में फिर से गिरावट शुरू हुई, और 2025 की पहली तीन महीनों में मात्र 9,906 वीज़ा जारी हुए, जो 2024 के समान अवधि में 13,478 से 27 % घटे।

  • 2023‑2024 में रिजेक्शन दर: 41 %
  • 2024‑2025 में जारी वीज़ा: 9,906 (‑27 % YoY)
  • भारतीय छात्र संख्या US में 2023 में 2,34,500; 2024 में 2,04,000
  • Open Doors 2024 रिपोर्ट (International Institute of Education) के अनुसार US में कुल अंतरराष्ट्रीय छात्र 1.1 मिलियन से अधिक

इन आँकड़ों ने भारत‑US शिक्षा रिश्ते में पहले से मौजूद तनाव को नई तीव्रता दी है।

कारण: नीति, प्रक्रिया और लागत‑बढ़ोतरी

विज़ा संकट के पीछे कई कारक जुड़े हुए हैं। पहला, डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के दौरान लागू कठोर इमीग्रेशन नीतियों का असर अभी भी महसूस हो रहा है; "Buy American, Hire American" पहल ने विदेशी स्नातकोत्तरों के लिए नौकरी की संभावनाओं को घटा दिया। दूसरा, अमेरिकी दूतावास एवं कांसुलेट में साक्षात्कार स्लॉट की कमी, जो अक्सर अंतिम क्षण में उपलब्ध होते हैं, ने छात्रों को असहज स्थिति में डाल दिया।

एक केस स्टडी में North Carolina State University में दाखिला ले रहा भारतीय छात्र ने 17 जुलाई 2025 को साक्षात्कार अपॉइंटमेंट प्राप्त किया, लेकिन सूचना सिर्फ एक दिन पहले आई। इसलिए उसने 16 जुलाई को ही DS‑160 फॉर्म भर दिया, जिससे पासपोर्ट वैरिफिकेशन काउंटर पर लाल झंडा लगा और अंततः वीज़ा रिजेक्ट हो गया। इस तरह की आखिरी‑घंटे की घबराहट अब सामान्य हो गई है।

शिक्षा कंसल्टेंट्स का दृष्टिकोण

शिक्षा कंसल्टेंट्स का दृष्टिकोण

हाइडराबाद स्थित Hyderabad Overseas Consultants के प्रमुख सञ्जीव राय ने कहा, "यह केवल संख्या की बात नहीं, यह छात्रों की आशा और निराशा का मिश्रण है। वीज़ा स्लॉट की अटकलबाज़ी, उच्च रिजेक्शन दर और अपॉइंटमेंट की उलझन भविष्य के छात्रों को निरुत्साहित कर रही है।" उन्होंने बताया कि कई परिवार पहले से ही ट्यूशन fees, यात्रा खर्च और पड़ोसी देशों में रहने की तैयारी कर चुके होते हैं, फिर भी उन्हें अब सिर्फ एक मिनट के साक्षात्कार में निराशा का सामना करना पड़ता है।

कंसल्टेंट्स ने बताया कि 2025 के शरद 2025 प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले भारतीय छात्रों की संख्‍या में 50‑70 % की गिरावट दर्ज की गई है। ये आंकड़े पिछले वर्ष के 2024‑2025 तुलना में नाटकीय रूप से नीचे हैं।

प्रभाव: आर्थिक और सामाजिक दोनों स्तर पर

विज़ा प्रतिबंध का सीधा आर्थिक प्रभाव ट्यूशन फीस में गिरावट के रूप में दिख रहा है। US विश्वविद्यालयों की राजस्व में अनुमानित कमी लगभग 120 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। दूसरी ओर, भारतीय परिवारों की बचत, जो अक्सर विदेश शिक्षा के लिए विशेष रूप से अलग रखी जाती है, एक झटके की तरह समाप्त हो रही है। सामाजिक रूप से, छात्र अब अपने करियर प्लान को पहले से अधिक जटिल मानचित्र पर ले जा रहे हैं, जिससे कई लोग यूरोप या कॅनडा जैसे वैकल्पिक गंतव्य की ओर रुख कर रहे हैं।

इन बदलावों की लंबे समय की अभिव्यक्ति अभी स्पष्ट नहीं है, पर विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वीज़ा प्रक्रिया में सुधार नहीं आया तो भारत‑US शैक्षिक सहयोग में एक स्थायी क्षति हो सकती है।

आगे क्या हो सकता है?

आगे क्या हो सकता है?

वर्तमान में US State Department ने वीज़ा प्रक्रिया में सुधार की कोई स्पष्ट टाइमलाइन नहीं दी है। हालांकि, कुछ यूएस दूतावास ने कहा है कि अगले छह महीनों में साक्षात्कार अपॉइंटमेंट की संख्या को 15‑20 % तक बढ़ाने की कोशिश की जाएगी। वहीं, भारत सरकार ने "स्टूडेंट वीज़ा सॉल्यूशन कमिटी" बनाए रखने का ऐलान किया है, जो दोनों देशों के बीच संवाद को तेज़ कर सकती है।

उम्मीद है कि यदि इन प्रयासों में गति आती है तो 2026‑2027 में फिर से भारतीय छात्रों का प्रवाह सुधर सकता है, पर अब के लिए यह एक अनिश्चित यात्रा है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

F-1 वीज़ा रिजेक्शन का मुख्य कारण क्या है?

मुख्य कारण कठोर इमीग्रेशन नीतियां, "Buy American, Hire American" पहल और अमेरिकी दूतावासों में साक्षात्कार स्लॉट की कमी हैं, जो एक साथ आवेदन प्रक्रिया को कठिन बना रहे हैं।

यह स्थिति भारतीय छात्रों और परिवारों को कैसे प्रभावित करती है?

छात्रों को अपनी पढ़ाई में देरी, ट्यूशन फीस का नुकसान, और भविष्य की करियर योजना में अनिश्चितता झेलनी पड़ती है, जबकि परिवारों को आर्थिक नुकसान और मनोवैज्ञानिक तनाव का सामना करना पड़ता है।

विज़ा प्रक्रिया में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

US State Department ने साक्षात्कार स्लॉट बढ़ाने की योजना बताई है, और भारत सरकार ने द्विपक्षीय संवाद को तेज करने के लिए "स्टूडेंट वीज़ा सॉल्यूशन कमिटी" स्थापित की है।

क्या अन्य देशों के विकल्प उपलब्ध हैं?

कई छात्र अब कॅनडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देशों में पढ़ाई के विकल्प तलाश रहे हैं, जहाँ वीज़ा प्रक्रिया तुलनात्मक रूप से सुगम है और पोस्ट‑स्टडी वर्क वीज़ा की संभावनाएं बेहतर हैं।

भविष्य में भारतीय छात्रों का US में प्रवेश कैसे दिखेगा?

यदि वीज़ा प्रक्रिया में सुधार नहीं हुआ, तो 2026‑2027 में छात्रों की संख्या में और गिरावट हो सकती है; लेकिन नीतियों के सुलभ होने पर पुनः स्थिरता आने की संभावना भी बनी है।

1 Comment

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    ajay kumar

    अक्तूबर 6, 2025 AT 02:19

    विज़ा प्रक्रिया में देरी से बहुत तनाव बढ़ रहा है।

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