UP में RTE प्रवेश नियमों पर नई सख़्ती: निजी स्कूलों में 25% सीटें गरीबों के लिए

UP में RTE प्रवेश नियमों पर नई सख़्ती: निजी स्कूलों में 25% सीटें गरीबों के लिए अक्तू॰, 7 2025

जब दीपक कुमार, अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को नया शासनादेश जारी किया, तब से राज्य के RTE प्रवेश नियमों में धूमधाम से बदलाव आया है। यह आदेश लखनऊ सहित पूरे प्रदेश के निजी स्कूलों को लागू हो गया, जहाँ अब गरीब परिवारों के बच्चों के लिए 25 % सीटें निश्चित हो गई हैं। नई व्यवस्था दस्तावेज़ सत्यापन को दोहरी लेयर में ले जाती है, जिससे ऑनलाइन पोर्टल पर फर्जी प्रक्रिया का जोखिम काफी घटेगा।

पहले केवल शिक्षा विभाग ( शिक्षा विभाग ) के अधिकारी ही RTE आवेदनों की जांच करते थे। अब इस प्रक्रिया में आयुष्मान विभाग, प्रशासनिक विभाग और अन्य संबंधित निकाय भी शामिल हो रहे हैं। इस बदलाव का सीधा असर यह है कि अगर कोई विभाग दस्तावेज़ को अस्वीकृत कर देता है, तो आवेदन तुरंत निरस्त हो जाता है।

RTE नियमों में नई सख़्ती के मुख्य बिंदु

  • निजी स्कूलों में कुल सीटों का 25 % हिस्सा RTE के तहत आरक्षित रहेगा।
  • आवेदक तथा उनके अभिभावक दोनों का आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है।
  • आय प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ों को दो‑स्तर ऑनलाइन सत्यापन के बाद ही मान्य माना जाएगा।
  • भ्रष्टाचार या फर्जी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने वाले अभिभावक और अधिकारी दोनों पर कड़ी कानूनी व अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
  • जिलों को शैक्षणिक सत्र शुरू होने से चार महीने पहले विस्तृत दिशा‑निर्देश जारी करने होंगे।

डिजिटल सत्यापन प्रक्रिया और दस्तावेज़ों की आवश्यकताएँ

शिक्षा विभाग ने नया ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया है जहाँ आवेदकों को पहले अपने विवरण भरने होते हैं, फिर दो चरणों में दस्तावेज़ अपलोड करने होते हैं। पहला चरण खण्ड शिक्षा अधिकारी के तहत किया जाता है, जबकि दूसरा चरण बेसिक शिक्षा अधिकारी और अन्य विभागीय अधिकारियों द्वारा सत्यापित किया जाता है। यदि किसी चरण में असामंजस्य पाया जाता है, तो आवेदन को तुरंत निरस्त कर दिया जाता है।

इस प्रक्रिया के साथ ही प्रत्येक निजी स्कूल को अपनी खाली सीटों की पूरी सूची पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। स्कूल की वेबसाइट पर प्रकाशित सूची सार्वजनिक की जाएगी, जिससे अभिभावकों को वास्तविक समय में उपलब्ध स्थानों की जानकारी मिल सके। यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्‍टाचार को रोकने के लिए उठाया गया है।

निजी स्कूलों में सीटिंग का नया ढांचा

नए नियमों के अनुसार, चाहे स्कूल प्री‑प्राइमरी में हो या कक्षा‑एक में, कुल सीटों का एक-चौथाई हिस्सा RTE के तहत आरक्षित रहेगा। इसका मतलब है कि हर जिले में निजी स्कूलों की कुल क्षमता का 25 % भाग गरीब बच्चों को मुफ्त में मिलने वाला है। इसके अलावा, शैक्षणिक सत्र 2026‑27 से एक अतिरिक्त प्रावधान लागू होगा: यदि किसी बच्चे का वार्ड में सीट नहीं मिलती, तो वह दूसरे वार्ड के निजी स्कूल में भी प्रवेश ले सकेगा, बशर्ते उसकी वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम हो।

एक प्रमुख प्राथमिक विद्यालय, सूर्य प्रकाश हाई स्कूल, गोरखपुर, के प्राचार्य ने कहा, "हमने अपने खाली 30 % स्थान ऑनलाइन पोर्टल पर अपडेट कर दिए हैं। अब हमें हर बच्चे की योग्यता और दस्तावेज़ की दो‑स्तरीय जाँच से गुजरना पड़ेगा, लेकिन यह कदम शिक्षा के अधिकार को सुदृढ़ करने के लिये आवश्यक है।"

प्रभावित छात्रों, अभिभावकों और स्कूलों की प्रतिक्रियाएँ

जिला स्तर पर कई अभिभावक समूहों ने इस बदलाव का स्वागत किया। राहुल वर्मा (एक अभिभावक) ने कहा, "पहले हमें कई बार दस्तावेज़ माँगने और फिर वापस खारिज होने की समस्या होती थी। अब आधार कार्ड की अनिवार्यता और दो‑स्तरीय ऑनलाइन सत्यापन से प्रक्रिया तेज़ और भरोसेमंद लग रही है।"

वहीं, कुछ निजी स्कूलों ने प्रारम्भिक चरण में चुनौतियों की बात उठाई। सच्चिदानंद विद्यालय, मेरठ के प्रधानाचार्य ने बताया, "डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर जानकारी भरना और दस्तावेज़ अपलोड करना कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की सीमित पहुँच के कारण कठिन हो सकता है। सरकार को सहायक केंद्र स्थापित करने की जरूरत होगी।"

आगे की कार्यवाही और संभावित चुनौतियाँ

शासन ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई स्कूल सरकार द्वारा आवंटित RTE बच्चे को बिना वैध कारण के प्रवेश नहीं देता है, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है। साथ ही, चयनित अभिभावकों को हर साल पाँच हज़ार रुपये सीधे उनके बैंक खाते में किताब‑यूनिफॉर्म के खर्च के लिये दिए जाएंगे। यह राशि राज्य द्वारा निर्धारित मानक पर आधारित होगी और उस पर कोई कर नहीं लगेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह नई नीति सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने के साथ‑साथ शिक्षा के गुणवत्तापूर्ण वितरण को भी सुदृढ़ करेगी। डॉ. अनीता शुक्ला, शिक्षा नीति विशेषज्ञ ने टिप्पणी की, "डिजिटल सत्यापन और दो‑स्तरीय जांच से धोखाधड़ी खत्म होगी, लेकिन साथ ही राज्य को ग्रामीण इंटरनेट पहुँच और डिजिटल साक्षरता पर भी निवेश करना होगा।"

कुल मिलाकर, यह कदम उत्तर प्रदेश में शिक्षा के अधिकार को साकार करने की दिशा में एक बड़ी छलांग माना जा रहा है। समय आने पर यह देखना होगा कि नई प्रक्रियाएँ वास्तविक में कितनी प्रभावी हैं और क्या वे सभी वर्गों के छात्रों को समान अवसर प्रदान करने में सक्षम हैं।

अधिकांश पूछे जाने वाले प्रश्न

नए RTE नियमों से कौन‑से वर्ग के छात्र सबसे अधिक लाभान्वित होंगे?

वे छात्रों को मुख्य लाभ मिलेगा जिनके परिवार की वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम है और जिनका आधार कार्ड उपलब्ध है। इन परिवारों के बच्चे अब अपने वार्ड के अलावा अन्य वार्ड के निजी स्कूलों में भी प्रवेश के योग्य होंगे, जिससे सीटों की उपलब्धता बढ़ेगी।

दस्तावेज़ सत्यापन के दो चरणों में कौन‑से विभाग शामिल हैं?

पहला चरण खण्ड शिक्षा अधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा किया जाता है, जबकि दूसरा चरण में आयुष्मान विभाग, प्रशासनिक विभाग और अन्य संबंधित सरकारी निकायों की जाँच शामिल है। दोनों चरणों में पास होने पर ही आवेदन को स्वीकृति मिलती है।

अगर आवेदन अस्वीकृत हो जाए तो अभिभावक को क्या विकल्प मिलते हैं?

अस्वीकृति के बाद अभिभावक को अपील करने का अधिकार है। वे पुनः दस्तावेज़ प्रस्तुत कर सकते हैं या संबंधित विभाग से स्पष्ट कारण मांग सकते हैं। अपील प्रक्रिया भी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जा सकती है।

सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले आर्थिक सहायता की राशि कितनी है?

हर साल चयनित अभिभावकों को पाँच हज़ार रुपये सीधे उनके बैंक खाते में किताब‑यूनिफॉर्म के खर्च के लिये ट्रांसफ़र किए जाएंगे। यह राशि टैक्स‑फ्री है और प्रत्येक छात्र के लिये एक बार ही दी जाती है।

निजी स्कूलों को नई नियमावली का पालन न करने पर क्या दंड मिलेगा?

यदि कोई स्कूल सरकारी आवंटित RTE बच्चे को बिना वैध कारण के प्रवेश नहीं देता, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है। साथ ही, स्कूल को वित्तीय दंड और भविष्य में सरकारी योजनाओं में भागीदारी की अनुमति नहीं दी जा सकती।

13 टिप्पणि

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    Raja Rajan

    अक्तूबर 7, 2025 AT 05:20

    निजी स्कूलों में 25% सीटें आरटीई के तहत अनिवार्य हो गई हैं। आधार कार्ड और आय प्रमाणपत्र दो‑स्तर सत्यापन के बाद ही मान्य होते हैं। यदि कोई दस्तावेज़ अस्वीकृत हो जाता है तो आवेदन तुरंत निरस्त हो जाता है। यह नियम शिक्षा, आयुष्मान और प्रशासनिक विभाग के सहयोग से लागू किया गया है।

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    Atish Gupta

    अक्तूबर 8, 2025 AT 09:07

    वह अद्भुत बदलाव! दो‑स्तर डिजिटल सत्यापन को हमने “हाइब्रिड इको‑सिस्टम” कहा। अब झंझट नहीं, बस एक क्लिक में सभी दस्तावेज़ क्लियर। सरकार का यह कदम “इन्क्लूसिव एजुकेशन चार्टर” की नई परिभाषा है, जिससे सामाजिक‑आर्थिक असमानता को घटाने का लक्ष्य हासिल होगा।

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    Aanchal Talwar

    अक्तूबर 9, 2025 AT 12:53

    मैं पूरी तरह से इस नीति से सहमत हू। गरीब बच्चो को अब स्कूल में जगह मिलेगी और हम सबको साथ मिल कर इसको सफल बनाना चाहिये।

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    Neha Shetty

    अक्तूबर 10, 2025 AT 16:40

    यह नया आरटीई नियम वास्तव में एक सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कदम है।
    निजी स्कूलों में 25% सीटें गरीब छात्रों के लिये आरक्षित होने से शिक्षा का अधिकार अधिक समावेशी होगा।
    दो‑स्तर ऑनलाइन सत्यापन प्रक्रिया दस्तावेज़ की झूठी जाँच को काफी हद तक रोक देगी।
    अब अभिभावकों को आधार कार्ड व आय प्रमाणपत्र का प्रयोग करके आवेदन करना होगा, जो पहचान को सुरक्षित बनाता है।
    विभागीय समन्वय से यह प्रक्रिया तेज़ और पारदर्शी बनती है, जिससे देरी कम होगी।
    यदि कोई चरण में असंगति मिलती है, तो आवेदन तुरंत निरस्त हो जाता है, जिससे समय बचता है।
    यह नियम सिर्फ कागज़ी काम नहीं बल्कि गुणवत्ता को जांचने का एक लैब जैसा है।
    कई अभिभावक समूहों ने इस बदलाव का स्वागत किया है और आशा जताई है कि अब वे अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में भेज पाएँगे।
    वहीं कुछ दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट की उपलब्धता एक चुनौती बन सकती है, जिसके लिए सरकार को उचित सहायता केंद्र स्थापित करने चाहिए।
    डिजिटल साक्षरता बढ़ाने के लिये प्रशिक्षक और स्थानीय कंप्यूटर लैब्स मददगार साबित हो सकते हैं।
    इस नीति के तहत चयनित अभिभावकों को सालाना पाँच हजार रुपये भी मिलेंगे, जो किताब‑यूनिफॉर्म के खर्च में काफी मदद करेगा।
    यह आर्थिक प्रोत्साहन न केवल वित्तीय बोझ कम करेगा बल्कि माता‑पिता को शिक्षा के लक्ष्य के प्रति प्रेरित भी करेगा।
    यदि कोई स्कूल इस नियम को अनदेखा करता है तो उसकी मान्यता रद्द हो सकती है, जो एक सख़्त लेकिन आवश्यक चेतावनी है।
    इस प्रकार, नीति का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये निगरानी प्रणाली को मजबूत बनाना आवश्यक है।
    कुल मिलाकर, यह कदम उत्तर प्रदेश में शैक्षणिक समानता को साकार करने की दिशा में एक सकारात्मक बदलाव है।
    आने वाले समय में हमें देखना होगा कि ये नियम व्यावहारिक रूप से कितनी सफल होते हैं और क्या वे सभी वर्गों को बराबर अवसर प्रदान कर पाते हैं।

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    Apu Mistry

    अक्तूबर 11, 2025 AT 20:27

    समाजकी गहराई में शिक्षा एक प्रकाश जैसा है, पर अक्सर उसका उजाला केवल वही देख पाता है जो इसे छिड़कने को तैयार हो। इस नई व्यवस्था में हम देखते हैं कि शक्ति का पुनर्वितरण हुआ है, फिर भी कुछ लोग इस बदलाव से डरते हैं क्योंकि उनका लाभ कम हो सकता है।

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    uday goud

    अक्तूबर 13, 2025 AT 00:13

    निजी स्कूलों में 25% सीटें आरटीई को आवंटित करना-यह एक ऐतिहासिक कदम है; यह न केवल सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है, बल्कि शैक्षणिक गुणवत्ता को भी उन्नत करता है-सरकार को इस दिशा में सराहना मिलनी चाहिए; साथ ही, दो‑स्तर सत्यापन-डिजिटल दस्तावेज़-को लागू करना देश की प्रशासनिक दक्षता का प्रमाण है; यह नीति सभी वर्गों के बच्चों को समान अवसर प्रदान करने की दिशा में दृढ़ संकल्प दिखाती है।

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    AMRESH KUMAR

    अक्तूबर 14, 2025 AT 04:00

    भारत की शिक्षा को सशक्त बनाना हमारा कर्तव्य है! 😊

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    ritesh kumar

    अक्तूबर 15, 2025 AT 07:47

    कुछ लोग चाहते हैं कि इस आरटीई नियम से सरकार की शक्ति कम हो जाए, इसलिए वे डिजिटल सत्यापन को जाल बना रहे हैं; यह एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है, जिसके पीछे विदेशी एजेंसियों का सहयोग है, जिसका उद्देश्य हमारे शैक्षिक स्वायत्तता को नष्ट करना है।

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    Parul Saxena

    अक्तूबर 16, 2025 AT 11:33

    नवीन आरटीई दिशा‑निर्देशों ने निजी स्कूलों को सामाजिक उत्तरदायित्व की नई परत प्रदान की है, जिससे वह न केवल शैक्षणिक संस्थान बल्कि सामाजिक भागीदार के रूप में विकसित हो रहे हैं। इस व्यवस्था के अंतर्गत 25 % सीटें गरीब छात्रों को सुरक्षित करने का लक्ष्य रखता है, जो आर्थिक असमानता को कम करने के लिये एक निर्णायक कदम है। दो‑स्तर सत्यापन प्रणाली ने दस्तावेज़ीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढ़ाया है, जिससे भ्रष्टाचार की संभावनाएँ न्यूनतम हो गई हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जब सरकार विभिन्न विभागों-शिक्षा, आयुष्मान, प्रशासनिक-को सहयोग के लिये एकत्रित करती है, तो नीतियों का कार्यान्वयन अधिक प्रभावी बनता है। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की कमी एक बाधा बन सकती है, जिसे दूर करने हेतु केंद्र और राज्य को संयुक्त प्रयास करने चाहिए। यदि हम इस नीति को सफल बनाना चाहते हैं, तो हमें न केवल तकनीकी बुनियादी ढाँचे को सुदृढ़ करना होगा, बल्कि अभिभावकों और स्कूलों के बीच संवाद को भी सशक्त बनाना होगा। इस प्रकार, सभी हितधारकों का सहयोग इस परिवर्तन को स्थायी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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    bhavna bhedi

    अक्तूबर 17, 2025 AT 15:20

    नए नियमों से गरीब बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो रहा है इस बात पर हमें गर्व है हम सब मिलकर इस पहल को और आगे बढ़ा सकते हैं

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    Gurjeet Chhabra

    अक्तूबर 18, 2025 AT 19:07

    मैं समझता हूँ कि डिजिटल सत्यापन से कई लोगों को परेशानी हो सकती है लेकिन यह कदम दीर्घकाल में सभी के लिए फायदेमंद है

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    Surya Banerjee

    अक्तूबर 19, 2025 AT 22:53

    yah naya nirdeshan aapke baccho ke liye behad upyogi ho sakta hai bas thodi internet ki suvidha ki jarurat hogi

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    Sunil Kumar

    अक्तूबर 21, 2025 AT 02:40

    वाह! दो‑स्तर ऑनलाइन सत्यापन और 25 % आरटीई सीटें-जैसे सरकार ने शिक्षा को ‘डेटा‑ड्रिवन जादू’ में बदल दिया हो। लेकिन अगर ग्राम क्षेत्रों में इंटरनेट की कमी है तो यह जादू सिर्फ शहर में ही काम करेगा, बाकी जहां नहीं, वहाँ तो बस काग़ज़ी फसल रहेगी। इस बात को देखते हुए, सरकार को डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना चाहिए, नहीं तो ये नीति सीमित प्रभाव वाली रहेगी। मुस्कराते हुए कहूँ तो, अब हमें केवल आवेदन भरना नहीं, बल्कि डिजिटल साक्षरता भी सीखनी पड़ेगी! 😏

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