UP में RTE प्रवेश नियमों पर नई सख़्ती: निजी स्कूलों में 25% सीटें गरीबों के लिए

जब दीपक कुमार, अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को नया शासनादेश जारी किया, तब से राज्य के RTE प्रवेश नियमों में धूमधाम से बदलाव आया है। यह आदेश लखनऊ सहित पूरे प्रदेश के निजी स्कूलों को लागू हो गया, जहाँ अब गरीब परिवारों के बच्चों के लिए 25 % सीटें निश्चित हो गई हैं। नई व्यवस्था दस्तावेज़ सत्यापन को दोहरी लेयर में ले जाती है, जिससे ऑनलाइन पोर्टल पर फर्जी प्रक्रिया का जोखिम काफी घटेगा।
पहले केवल शिक्षा विभाग ( शिक्षा विभाग ) के अधिकारी ही RTE आवेदनों की जांच करते थे। अब इस प्रक्रिया में आयुष्मान विभाग, प्रशासनिक विभाग और अन्य संबंधित निकाय भी शामिल हो रहे हैं। इस बदलाव का सीधा असर यह है कि अगर कोई विभाग दस्तावेज़ को अस्वीकृत कर देता है, तो आवेदन तुरंत निरस्त हो जाता है।
RTE नियमों में नई सख़्ती के मुख्य बिंदु
- निजी स्कूलों में कुल सीटों का 25 % हिस्सा RTE के तहत आरक्षित रहेगा।
- आवेदक तथा उनके अभिभावक दोनों का आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है।
- आय प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ों को दो‑स्तर ऑनलाइन सत्यापन के बाद ही मान्य माना जाएगा।
- भ्रष्टाचार या फर्जी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने वाले अभिभावक और अधिकारी दोनों पर कड़ी कानूनी व अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
- जिलों को शैक्षणिक सत्र शुरू होने से चार महीने पहले विस्तृत दिशा‑निर्देश जारी करने होंगे।
डिजिटल सत्यापन प्रक्रिया और दस्तावेज़ों की आवश्यकताएँ
शिक्षा विभाग ने नया ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया है जहाँ आवेदकों को पहले अपने विवरण भरने होते हैं, फिर दो चरणों में दस्तावेज़ अपलोड करने होते हैं। पहला चरण खण्ड शिक्षा अधिकारी के तहत किया जाता है, जबकि दूसरा चरण बेसिक शिक्षा अधिकारी और अन्य विभागीय अधिकारियों द्वारा सत्यापित किया जाता है। यदि किसी चरण में असामंजस्य पाया जाता है, तो आवेदन को तुरंत निरस्त कर दिया जाता है।
इस प्रक्रिया के साथ ही प्रत्येक निजी स्कूल को अपनी खाली सीटों की पूरी सूची पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। स्कूल की वेबसाइट पर प्रकाशित सूची सार्वजनिक की जाएगी, जिससे अभिभावकों को वास्तविक समय में उपलब्ध स्थानों की जानकारी मिल सके। यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उठाया गया है।
निजी स्कूलों में सीटिंग का नया ढांचा
नए नियमों के अनुसार, चाहे स्कूल प्री‑प्राइमरी में हो या कक्षा‑एक में, कुल सीटों का एक-चौथाई हिस्सा RTE के तहत आरक्षित रहेगा। इसका मतलब है कि हर जिले में निजी स्कूलों की कुल क्षमता का 25 % भाग गरीब बच्चों को मुफ्त में मिलने वाला है। इसके अलावा, शैक्षणिक सत्र 2026‑27 से एक अतिरिक्त प्रावधान लागू होगा: यदि किसी बच्चे का वार्ड में सीट नहीं मिलती, तो वह दूसरे वार्ड के निजी स्कूल में भी प्रवेश ले सकेगा, बशर्ते उसकी वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम हो।
एक प्रमुख प्राथमिक विद्यालय, सूर्य प्रकाश हाई स्कूल, गोरखपुर, के प्राचार्य ने कहा, "हमने अपने खाली 30 % स्थान ऑनलाइन पोर्टल पर अपडेट कर दिए हैं। अब हमें हर बच्चे की योग्यता और दस्तावेज़ की दो‑स्तरीय जाँच से गुजरना पड़ेगा, लेकिन यह कदम शिक्षा के अधिकार को सुदृढ़ करने के लिये आवश्यक है।"
प्रभावित छात्रों, अभिभावकों और स्कूलों की प्रतिक्रियाएँ
जिला स्तर पर कई अभिभावक समूहों ने इस बदलाव का स्वागत किया। राहुल वर्मा (एक अभिभावक) ने कहा, "पहले हमें कई बार दस्तावेज़ माँगने और फिर वापस खारिज होने की समस्या होती थी। अब आधार कार्ड की अनिवार्यता और दो‑स्तरीय ऑनलाइन सत्यापन से प्रक्रिया तेज़ और भरोसेमंद लग रही है।"
वहीं, कुछ निजी स्कूलों ने प्रारम्भिक चरण में चुनौतियों की बात उठाई। सच्चिदानंद विद्यालय, मेरठ के प्रधानाचार्य ने बताया, "डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर जानकारी भरना और दस्तावेज़ अपलोड करना कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की सीमित पहुँच के कारण कठिन हो सकता है। सरकार को सहायक केंद्र स्थापित करने की जरूरत होगी।"
आगे की कार्यवाही और संभावित चुनौतियाँ
शासन ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई स्कूल सरकार द्वारा आवंटित RTE बच्चे को बिना वैध कारण के प्रवेश नहीं देता है, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है। साथ ही, चयनित अभिभावकों को हर साल पाँच हज़ार रुपये सीधे उनके बैंक खाते में किताब‑यूनिफॉर्म के खर्च के लिये दिए जाएंगे। यह राशि राज्य द्वारा निर्धारित मानक पर आधारित होगी और उस पर कोई कर नहीं लगेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नई नीति सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने के साथ‑साथ शिक्षा के गुणवत्तापूर्ण वितरण को भी सुदृढ़ करेगी। डॉ. अनीता शुक्ला, शिक्षा नीति विशेषज्ञ ने टिप्पणी की, "डिजिटल सत्यापन और दो‑स्तरीय जांच से धोखाधड़ी खत्म होगी, लेकिन साथ ही राज्य को ग्रामीण इंटरनेट पहुँच और डिजिटल साक्षरता पर भी निवेश करना होगा।"
कुल मिलाकर, यह कदम उत्तर प्रदेश में शिक्षा के अधिकार को साकार करने की दिशा में एक बड़ी छलांग माना जा रहा है। समय आने पर यह देखना होगा कि नई प्रक्रियाएँ वास्तविक में कितनी प्रभावी हैं और क्या वे सभी वर्गों के छात्रों को समान अवसर प्रदान करने में सक्षम हैं।
अधिकांश पूछे जाने वाले प्रश्न
नए RTE नियमों से कौन‑से वर्ग के छात्र सबसे अधिक लाभान्वित होंगे?
वे छात्रों को मुख्य लाभ मिलेगा जिनके परिवार की वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम है और जिनका आधार कार्ड उपलब्ध है। इन परिवारों के बच्चे अब अपने वार्ड के अलावा अन्य वार्ड के निजी स्कूलों में भी प्रवेश के योग्य होंगे, जिससे सीटों की उपलब्धता बढ़ेगी।
दस्तावेज़ सत्यापन के दो चरणों में कौन‑से विभाग शामिल हैं?
पहला चरण खण्ड शिक्षा अधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा किया जाता है, जबकि दूसरा चरण में आयुष्मान विभाग, प्रशासनिक विभाग और अन्य संबंधित सरकारी निकायों की जाँच शामिल है। दोनों चरणों में पास होने पर ही आवेदन को स्वीकृति मिलती है।
अगर आवेदन अस्वीकृत हो जाए तो अभिभावक को क्या विकल्प मिलते हैं?
अस्वीकृति के बाद अभिभावक को अपील करने का अधिकार है। वे पुनः दस्तावेज़ प्रस्तुत कर सकते हैं या संबंधित विभाग से स्पष्ट कारण मांग सकते हैं। अपील प्रक्रिया भी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जा सकती है।
सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले आर्थिक सहायता की राशि कितनी है?
हर साल चयनित अभिभावकों को पाँच हज़ार रुपये सीधे उनके बैंक खाते में किताब‑यूनिफॉर्म के खर्च के लिये ट्रांसफ़र किए जाएंगे। यह राशि टैक्स‑फ्री है और प्रत्येक छात्र के लिये एक बार ही दी जाती है।
निजी स्कूलों को नई नियमावली का पालन न करने पर क्या दंड मिलेगा?
यदि कोई स्कूल सरकारी आवंटित RTE बच्चे को बिना वैध कारण के प्रवेश नहीं देता, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है। साथ ही, स्कूल को वित्तीय दंड और भविष्य में सरकारी योजनाओं में भागीदारी की अनुमति नहीं दी जा सकती।
Raja Rajan
अक्तूबर 7, 2025 AT 05:20निजी स्कूलों में 25% सीटें आरटीई के तहत अनिवार्य हो गई हैं। आधार कार्ड और आय प्रमाणपत्र दो‑स्तर सत्यापन के बाद ही मान्य होते हैं। यदि कोई दस्तावेज़ अस्वीकृत हो जाता है तो आवेदन तुरंत निरस्त हो जाता है। यह नियम शिक्षा, आयुष्मान और प्रशासनिक विभाग के सहयोग से लागू किया गया है।