जब हम सुपरस्टिशन, समाज में प्रचलित अंधविश्वास और असाक्ष्य आधारित मान्यताएँ. Also known as अंधविश्वास, it shapes व्यवहार, राजनीति, खेल और आर्थिक फैसलों में गहरा असर डालती हैं। इस आलेख में हम देखेंगे कि कैसे सुपरस्टिशन आज भी हमारे दैनिक जीवन के अनेक पहलुओं में झलकती है।
एक तरफ अंधविश्वास, ज्यादा‑से‑ज्यादा असामंजस्यपूर्ण मान्यताएँ जैसे काली बिल्ली का रास्ता काटना या शुक्रवार को लाल कपड़े न पहनना सामाजिक व्यवहार को निर्देशित करती हैं। दूसरी ओर ज्योतिष, जन्म कुंडली, ग्रहों की स्थिति और भविष्यवाणी पर आधारित प्रणाली अक्सर चुनावी रणनीतियों या खेल टीम की चयन प्रक्रिया में परामर्श लिया जाता है। इन दोनों घटकों के बीच की लाइनें साफ़ नहीं होती – एक रिपोर्ट में कहा गया कि गुजरात में बड़े रियूसेप और हरष संगवी के राजनीतिक गठजोड़ में भी ‘गुड लक चार्म’ का जिक्र हुआ। इसी तरह क्रिकेट में भारतीय महिला टीम की जीत के बाद कुछ खिलाड़ी नहीं के ‘फलाघर’ का प्रचलन देखी गई, जो दर्शाता है कि सुपरस्टिशन खेल के परिणामों को भी प्रभावित करती है।
इन संबंधों को सिद्ध करने के लिए हम तीन प्रमुख सेमांटिक त्रिप्लेट बना सकते हैं: (1) सुपरस्टिशन समाज में अनिश्चितताओं को कम करने का एक तरीका है; (2) अंधविश्वास आर्थिक निर्णयों को प्रभावित करता है, जैसे स्टॉक मार्केट में ‘शुभ मुहूर्त’ के आधार पर ट्रेडिंग; (3) ज्योतिष राजनीतिक अभियान में रणनीतिक कदम तय करने में मदद करता है। इन त्रिप्लेट से पता चलता है कि सुपरस्टिशन सिर्फ व्यक्तिगत माहौल नहीं बल्कि सार्वजनिक नीतियों, खेल और व्यापार में भी गहरा असर डालता है।
धनतेरस जैसे प्रमुख त्योहारों में भी इस प्रभाव का प्रमाण मिलता है – लोग शुभ मुहूर्त में सोने‑चांदी की खरीदारी को अधिक शुभ मानते हैं, जबकि कुछ व्यापारी ‘काली तिथि’ से बचते हैं। इसी तरह फ्लाइट और ट्रेन बुकिंग में ‘लेवंडा बॉक्स’ रखने या ‘नीली कंची’ पहनने की प्रथा फैली हुई है, जो दर्शाता है कि रीति‑रिवाज और सुपरस्टिशन आर्थिक गतिविधियों को भी दिशा देते हैं।
इस सूची में शामिल लेखों में आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों में ‘सुपरस्टिशन’ के विभिन्न रूप सामने आए हैं – प्राचीन रिवाजों से लेकर आधुनिक तकनीक, गैडजेट लॉन्च एवं IPO के पीछे की मार्केट भावना, और यहाँ तक कि विश्वविद्यालय में छात्रों के वीज़ा प्रोसेस में भी कुछ ‘अंधविश्वास’ की धारणा बनी हुई है। इन लेखों को पढ़कर आप यह समझ सकेंगे कि सुपरस्टिशन हमारे सोच‑विचार के साथ कैसे घनिष्ठ रूप से जुड़ा है और इसे पहचानकर आप अपने निर्णयों को और अधिक तर्कसंगत बना सकते हैं।
अब नीचे दिए गए लेखों में सुपरस्टिशन के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से पढ़ें, ताकि आप समझ सकें कि यह क्यों बना रहता है और किस तरह से यह हमारे व्यक्तिगत तथा सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है।
नए साल पर सफाई और कपड़े धोने को लेकर कई सांस्कृतिक अंधविश्वास हैं जो इसे बदकिस्मती लाने वाला मानते हैं। विशेष रूप से चीनी और एशियाई सांस्कृतिक परंपराओं में, माना जाता है कि नया साल शुरू होने पर सफाई से अच्छे भाग्य का नाश हो सकता है। जबकि कई संस्कृतियों के पास नए साल का स्वागत करने के अपने अनोखे तरीके हैं, जैसे स्पेन में 12 अंगूर खाना और डेनमार्क में प्लेट तोड़ना।