जब हम नानी की बात करते हैं, तो परिवार की वह महिला जिसका काम पोते‑पोतियों को सिखाना, उनके साथ समय बिताना और पारिवारिक संस्कारों को जीवित रखना है. इसे अक्सर दादी भी कहा जाता है, लेकिन नानी की पहचान सिर्फ उम्र या रिश्ते तक सीमित नहीं, यह बच्चों की पहली विश्वसनीय मार्गदर्शक होने में है। नानी का प्रभाव पारिवारिक संरचना में गहरा होता है, क्योंकि वह घर की सांस्कृतिक धरोहर को अगली पीढ़ी तक पहुँचाती है।
नानी केवल पोते‑पोतियों की देखभाल नहीं करती, वह परिवार, समूह जिसमें कई पीढ़ियों के सदस्य मिलकर सह-जीवन करते हैं को एकजुट रखने में भी मदद करती है। परिवार के भीतर उसके अनुभव का उपयोग अक्सर महत्त्वपूर्ण फैसलों में किया जाता है, जैसे शादी‑बारात या शिक्षा‑संबंधी दुविधाएँ। साथ ही, नानी के हाथों से चली आ रही संस्कृति, भोजन, त्यौहार और कहानियों के माध्यम से संजीवित परम्पराएँ युवा वर्ग में नई पहचान बनाती है। इस प्रकार नानी परम्परा को जीवित रखने की कड़ी में मध्यस्थ बनती है।
जब बच्चों को स्कूल से ली गई होंठी‑ख़बरें सुनानी हों या पुरानी कहानियों से सिखाना चाहें, तो नानी की आवाज़ में एक भरोसे का अंश रहता है। कई अनुसंधानों ने दिखाया है कि नानी के साथ बिताए गए समय से बच्चों के सामाजिक कौशल और भावनात्मक संतुलन में सुधार होता है। यही कारण है कि नानी के साथ संतान, बच्चे और पोते‑पोतियाँ का बंधन अक्सर गहरा और स्थायी रहता है। नानी द्वारा दिया गया अनौपचारिक शिक्षा, जैसे रसोई में सब्जी काटना या बगीचे में पौधे लगाना, जीवन के व्यावहारिक पहलू सिखाता है, जो कक्षा की किताबों में नहीं लिखा जाता।
आज के तेज़ रफ़्तार जीवन में, नानी का योगदान कभी‑कभी अनदेखा हो जाता है, पर वास्तव में वह कई घरों में संतुलन की डोर थामे रखती है। चाहे वह बुजुर्गों की देखभाल में मदद हो या परिवार के आर्थिक निर्णयों में सलाह देना, नानी अपने अनुभव से हर पहलू को संतुलित करती है। इस पेज पर आप देखेंगे कि विभिन्न समाचार, सामुदायिक घटनाएँ और व्यक्तिगत कहानियाँ कैसे नानी की भूमिका को उजागर करती हैं। नीचे दिए गए लेखों में नानी से जुड़ी राजनीति, स्वास्थ्य, सांस्कृतिक आयोजन और व्यक्तिगत अनुभवों का विस्तृत संग्रह मिलेगा, जो इस अद्भुत भूमिका को नई रोशनी में पेश करता है।
तो चलिए, इस संग्रह में आगे बढ़ते हैं और देखते हैं कि कैसे नानी का प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में परिलक्षित होता है – चाहे वह राज्य की राजनीति हो, खेल की खबरें हों या तकनीकी अपडेट। इन लेखों से आपको नानी के विविध पहलुओं की विस्तृत समझ मिलेगी, जिससे आप अपने जीवन में भी इस अनमोल रिश्ते को बेहतर तरीके से सराह सकेंगे।
फिल्म 'सरिपोधा सनीवारम', नानी, एस जे सूर्या और प्रियंका मोहन के जबरदस्त अभिनय से सजी है। यह फिल्म निर्देशित की है विवेक आत्रेय ने, जिन्होंने एक अनूठा दृष्टिकोण अपनाया है। फिल्म ने अपने अनोखे कथानक और किरदारों की गहराई से दर्शकों का दिल जीत लिया है।