मुद्रास्फीति – क्या है, क्यों बढ़ती है और कैसे घटाई जाए

जब हम मुद्रास्फीति, किसी अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की औसत कीमतों में लगातार बढ़ोतरी. इसे अक्सर इन्फ्लेशन के नाम से भी जाना जाता है। इसका सीधा संबंध ब्याज़ दर, केंद्रीय बैंक द्वारा तय की गई वह दर जो ऋण पर ब्याज निर्धारित करती है और रिटेल कीमत, दुकानों में बेची जाने वाली वस्तुओं की अंतिम बिक्री कीमत से है। मौद्रिक नीति, आयात‑निर्यात में बदलाव और उपभोक्ता मांग भी इस प्रक्रिया को तेज या धीमा कर सकते हैं।

पहला प्रमुख संबंध यह है कि मुद्रास्फीति सीधे रिटेल कीमतों को ऊपर ले जाती है, जिससे परिवार का खर्चा बढ़ जाता है। दूसरा, ब्याज़ दरें केंद्रीय बैंक की मुख्य हथियार होती हैं; जब दरें बढ़ती हैं तो उधार महंगा हो जाता है, निवेश घटता है और कीमतें ठंडी पड़ती हैं। तीसरा, वित्तीय नीति (जैसे जेएसएससी रिसर्व बैंक की संपूर्ण योजना) मुद्रास्फीति को स्थिर रखने के लिए कर‑छूट, सब्सिडी और खुला बाजार संचालन जैसे उपाय अपनाती है। इस तरह तीन मुख्य घटक – कीमतें, ब्याज़ दरें और नीति – एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।

मुद्रास्फीति के प्रमुख कारक और उनका असर

सबसे पहले, उत्पादन लागत में बढ़ोतरी (जैसे कच्चा माल, ऊर्जा, वेतन) सीधे वस्तु‑सेवा की कीमतों को बढ़ाती है। जब तेल की कीमत world market में ऊपर जाती है, तो ट्रांसपोर्ट खर्चा बढ़ता है और सभी उत्पादों की रिटेल कीमतें प्रभावित होती हैं। दूसरा, मांग‑आधारित कारण, जैसे मौसमी खरीदारी (दीपावली, रक्षाबंधन) या अचानक वस्तुओं की कमी, कीमतों को उछाल देती है। तीसरा, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा दर में उतार‑चढ़ाव, विशेषकर डॉलर के मुकाबले रुपये का अवमूल्यन, आयात शुल्क बढ़ाता है और स्थानीय कीमतों में शिरा डालता है। इन कारकों को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि हर खबर – चाहे वह RBI की मौद्रिक बैठक हो या तेल की कीमतें – सीधे मुद्रास्फीति के आँकड़ों में परिलक्षित होती है।

जब कीमतें बढ़ती हैं, उपभोक्ता की क्रय शक्ति घटती है और बचत की आकांक्षा कमज़ोर पड़ती है। वही समय निवेशकों के लिये सूचनात्मक अवसर पैदा करता है: वे शेयर, सोना या रियल एस्टेट जैसे एसेट में निवेश करके अपनी पूँजी को बचा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, हाल की खबरों में RBI ने कहा कि ब्याज़ दरें ऊँची रखने से महंगाई को नियंत्रण में रखेंगे, जिससे कुछ सेक्टरों में फंडिंग मेट्रिक में सुधार देखने को मिला। इस तरह आर्थिक संकेतक, जैसे शेयर बाजार, सोने की कीमत या रियल एस्टेट, सभी को मुद्रास्फीति के साथ जोड़ते हुए एक बड़ा परिदृश्य बनता है।

तीसरी ओर, सरकारी नीतियों का असर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। नई टैक्स नीति, सब्सिडी की पुनः समीक्षा या सार्वजनिक खर्च में बदलाव से कीमतों में बदलाव आ सकता है। उदाहरण के लिए, खाद्य उत्पादों पर टैक्स घटाने से रिटेल कीमतें स्थिर रह सकती हैं, जबकि पेट्रोल पर टैक्स बढ़ाने से परिवहन लागत बढ़ेगी और अंततः उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी। इसलिए, हम अक्सर देखते हैं कि बजट घोषणा के बाद ही मुद्रास्फीति डेटा में हल्की गिरावट या बढ़ोतरी दर्ज होती है।

अब बात करते हैं कि आप कीमतों के तेज़ उतार‑चढ़ाव से कैसे बचाव कर सकते हैं। सबसे बुनियादी उपाय है बजट बनाना और अनावश्यक खर्चों को कम करना। दूसरा, छोटे‑मोटे निवेश (जैसे म्यूचुअल फंड, गोल्ड ईटीएफ) में नियमित योगदान देना लाभकारी होता है; ये एसेट आम तौर पर महंगाई से बचाव प्रदान करते हैं। तीसरा, सावधानी से ऋण लेना – अगर ब्याज़ दरें बढ़ रही हों तो दीर्घकालिक लोन से बचें और अधिकतम नकद फॉर्म में रखें। ये रणनीतियाँ व्यक्तिगत वित्त को स्थिर रखने में मदद करती हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर नीति‑निर्माता मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं।

उपर्युक्त बिंदुओं को देखते हुए, नीचे दिखाए गए लेखों में आप पाएँगे: RBI के बैंक अवकाश की ताज़ा जानकारी, नवीनतम IPO अपडेट, मौसमी खरीदारी के आर्थिक प्रभाव, तथा विभिन्न राज्य‑वार वित्तीय नीति के बदलाव। इस संग्रह को पढ़ने से न केवल आप मौजूदा आर्थिक माहौल को समझ पाएँगे, बल्कि अपने दैनिक खर्चे और निवेश निर्णयों को भी बेहतर बना पाएँगे। अब आगे बढ़िए और इस टैग के अंतर्गत आयी खबरों में गहराई से उतरिए।

अर्जेंटीना के विश्लेषकों ने 2024 की मुद्रास्फीति दर का पूर्वानुमान घटाकर लगभग 123% किया
अर्जेंटीना के विश्लेषकों ने 2024 की मुद्रास्फीति दर का पूर्वानुमान घटाकर लगभग 123% किया

अगस्त में अर्जेंटीना की मासिक मुद्रास्फीति दर 3.9% दर्ज की गई थी, और विश्लेषकों के अनुसार, 2024 के अंत तक वार्षिक मुद्रास्फीति दर लगभग 123% तक पहुंचने की संभावना है। नवीनतम पूर्वानुमान पिछले महीने की तुलना में 4.75 प्रतिशत अंक की कमी दर्शाता है।

सित॰, 6 2024