अब बात करते हैं प्रैक्टिकल टिप्स की। सबसे पहले, कपड़ों को रंग, धोने का तरह और लोड साइज के हिसाब से अलग‑अलग बास्केट में रखें – इससे रंग‑फीके नहीं होते और फाइबर भी बचते हैं। दो‑तीन बार धुलाई के बाद अपने मशीन के फिल्टर को साफ़ करना न भूलें, नहीं तो आवाज़ बढ़ेगी और पानी का प्रवाह बाधित हो सकता है। अगर आपके पास बजट में डिशवॉशर‑टाइप की मशीन है, तो उसका ‘एंटी‑बैक्टीरियल’ मोड अक्सर फोकस में रहता है, जो अंडर‑ड्रायर और एंटी‑बैक्टीरियल जर्म‑फ्री कपड़े देता है। अंत में, कपड़े सुखाते समय, धूप में सुखाने से बैक्टीरिया मारते हैं, पर बहुत ज़्यादा धूप में रंग फीके हो सकते हैं, इसलिए टाइमिंग का ध्यान रखें। इन बातों को समझ कर आप अगले बार जब कपड़े धोएँगे, तो न सिर्फ साफ़ कपड़े मिलेंगे, बल्कि आपका बजट और पर्यावरण भी बचेंगे। अब नीचे दी गई लिस्ट में आप विभिन्न विषयों पर लिखे हुए कई लेख देखेंगे – उनसे आप और भी गहरी समझ और तेज़ टिप्स पा सकेंगे।

नए साल पर सफाई और कपड़े धोना: क्या यह लाता है बदकिस्मती?
नए साल पर सफाई और कपड़े धोना: क्या यह लाता है बदकिस्मती?

नए साल पर सफाई और कपड़े धोने को लेकर कई सांस्कृतिक अंधविश्वास हैं जो इसे बदकिस्मती लाने वाला मानते हैं। विशेष रूप से चीनी और एशियाई सांस्कृतिक परंपराओं में, माना जाता है कि नया साल शुरू होने पर सफाई से अच्छे भाग्य का नाश हो सकता है। जबकि कई संस्कृतियों के पास नए साल का स्वागत करने के अपने अनोखे तरीके हैं, जैसे स्पेन में 12 अंगूर खाना और डेनमार्क में प्लेट तोड़ना।

जन॰, 1 2025