जब बात चेन्नई टेस्ट, ऐसी टेस्ट श्रृंखला है जहाँ भारत की टीम चेन्नई के ग्राउंड पर मुकाबला करती है. इसे अक्सर चेन्नई टेस्ट मैच कहा जाता है, तो यह भारतीय क्रिकेट की बड़ी चुनौती बनती है। साथ ही भारत, एक प्रमुख क्रिकेटिंग राष्ट्र और टेस्ट क्रिकेट, क्रिकेट का सबसे लंबा फॉर्मेट इस संदर्भ में जुड़ी हुई हैं। चेन्नई टेस्ट की बात करते हुए हमें यह याद रखना चाहिए कि यह फॉर्मेट लंबे इनिंग्स, रणनीतिक प्लान और धैर्य की परीक्षा लेता है।
चेन्नई टेस्ट में टीम चयन अक्सर खिलाड़ियों के हाल के फॉर्म और मैदान की विशिष्ट परिस्थितियों पर निर्भर करता है। हालिया रिपोर्ट में ऑवल, मैदान पर बल्लेबाज़ी या गेंदबाज़ी के लिये तय किया गया लक्ष्य को प्रमुख मानते हुए, बॉलिंग यूनिट को स्पिनर और तेज गेंदबाज़ दोनों की मिश्रण चाहिए होती है। उदाहरण के तौर पर N जगदेesan को रिषभ पैंट की चोट के बाद टेस्ट कॉल‑अप मिला, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि चोट‑समय में बैक‑अप प्लेयर का होना कितना अहम है। चयन समिति अक्सर "फ़ॉर्म > फ़िटनेस > फ्रंट‑लाइन" क्रम में विचार करती है, जिससे युवा खिलाड़ी जैसे नवंतेज राकेश को अवसर मिल सके।
मैदान का पिच भी चेन्नई टेस्ट के परिणामों को सीधे प्रभावित करता है। चेन्नई के ग्राउंड पर आमतौर पर शुरुआती दिन में धीमी गति और शाम को अधिक घिसा हुआ पिच देखा जाता है, जिससे स्पिनर को फायदा मिलता है। इस परिदृश्य में भारत की बैट्समैन को धैर्य से रन बनाना पड़ता है, जबकि विपक्षी टीम को तेज़ी से स्कोर बनाकर दबाव डालना होता है। टेस्ट रणनीति में "पिच‑कंडीशन + टीम‑बैलेन्स" का समीकरण अक्सर जीत-हार तय करता है।
इन सबका सार ये है कि चेन्नई टेस्ट सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि एक पूरी योजना है जिसमें चयन, पिच, ऑवल और खिलाड़ियों की मानसिक तैयारी सभी एक साथ काम करती हैं। नीचे आप विभिन्न लेखों, विश्लेषणों और खिलाड़ियों के इंटरव्यू देखेंगे जो इस टैग की गहराई को और स्पष्ट करेंगे। अब आइए आगे देखें कि इस संग्रह में क्या-क्या प्रमुख ख़बरें और इनसाइड स्टोरीज़ शामिल हैं।
चेन्नई के एम ए चिदंबरम स्टेडियम में भारत और बांग्लादेश के बीच पहले टेस्ट के पहले दिन भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत और बांग्लादेश के विकेटकीपर लिटन दास के बीच गरमागरम बहस हो गई। यह घटना भारत की पहली पारी के 15वें ओवर में हुई जब तस्कीन अहमद यशस्वी जायसवाल को गेंदबाजी कर रहे थे।