जब हम बिहार, भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य. इसे अक्सर बिहारी प्रदेश कहा जाता है, तो इसका आज का राजनीतिक माहौल, चुनावी गतिशीलता और विकास की दिशा साफ़ दिखती है। इस पेज पर आपको बिहार के राजनीतिक परिदृश्य, चुनावी परिणाम, प्रमुख पार्टियों की रणनीति और सामाजिक‑आर्थिक पहलुओं की गहरी झलक मिलेगी।
राजनीति के केंद्र में राजनीति, विचार, नीति और शक्ति संघर्ष का संगम. बिहार की राजनीति अक्सर राष्ट्रीय पार्टियों जैसे भाजपा, हिंदुस्तानी जनता पार्टी, जो राज्य में प्रमुख सत्ता संघर्ष करती है और कांग्रेस, इंडियन नेशनल कांग्रेस, जिसका ऐतिहासिक प्रभाव अब भी कुछ क्षेत्रों में मौजूद है के बीच बंटा रहता है। ये दोनों दल अपने‑अपने गठजोड़ और नेता‑विशिष्ट आधार के जरिए मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए अलग‑अलग रणनीतियाँ अपनाते हैं।
बिहार में चुनाव हमेशा राजनैतिक ऊर्जा का संकेतक रहा है। हर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में यह राज्य राष्ट्रीय परिणामों को काफी हद तक प्रभावित करता है। चुनावी रणनीति बनाते समय पार्टियां सामाजिक न्याय, कृषि समर्थन और रोजगार सृजन जैसे मुख्य मुद्दों को प्रमुखता देती हैं। उदाहरण के तौर पर, हाल के चुनाव में धर्मेंद्र प्रधान को चुनावी रणनीति का जिम्मा दिया गया, जिससे बीजेपी को ग्रामीण क्षेत्रों में नई ऊर्जा मिली। इस तरह के कदम राज्य की राजनीतिक दिशा को पुनः आकार देते हैं।
विकास पर ध्यान देना बिना राजनीति के अधूरा रहेगा। बिहार के विकास की मुख्य धारा विकास, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि सहित बुनियादी ढांचे की उन्नति से जुड़ी है। सरकारें अक्सर जल-सेवायें, सड़क निर्माण, स्कूल-विश्वविद्यालय सुधार और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार को प्राथमिकता देती हैं क्योंकि ये सीधे लोगों की जीवन गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। वहीं, कृषि में नई तकनीकें, सिंचाई परियोजनाएं और सब्सिडी कार्यक्रम किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाते हैं।
आज के बिहार में तीन बड़े रुझान स्पष्ट दिखते हैं: पहला, युवा वर्ग की भागीदारी बढ़ना। कॉलेज और गृहस्थ छात्रों ने मतपत्र में अपनी आवाज़ सुनाई है, जिससे पार्टियों को युवा-मैत्री कार्यक्रम बनाने पड़े हैं। दूसरा, सामाजिक न्याय की मांग में मजबूती। अनुसूचित वर्ग, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए आरक्षण, शिक्षा अवसर और स्वास्थ्य लाभ बढ़ाने की मांग सरकार पर दबाव बना रही है। तीसरा, डिजिटल और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास। सड़क, रेल और हाइस्पीड इंटरनेट सेवाओं का विस्तार राज्य को आर्थिक रूप से अधिक प्रतिस्पर्धी बना रहा है।
इन रुझानों के बीच, बिहार का भविष्य किस दिशा में जाएगा, यह कई कारकों पर निर्भर करता है। प्रमुख नेता‑निर्णय, गठबंधन की स्थिरता और जनता की अपेक्षाएं मिलकर शासन को तय करती हैं। अगला चुनाव इन कारकों को फिर से परखने का मंच बन सकता है। इस पेज पर आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न समाचार, विश्लेषण और विशेषज्ञ राय इन सभी पहलुओं को जोड़ते हैं, जिससे बिहार का एक समग्र दृश्य सामने आता है।
अब आप नीचे दी गई सूची में विभिन्न लेखों, रिपोर्टों और अपडेट्स को देख सकते हैं, जिनमें बिहार की राजनीति, चुनावी रणनीतियों, विकास योजनाओं और सामाजिक पहलुओं का विस्तृत उल्लेख है। यह संग्रह आपको राज्य की वर्तमान स्थिति समझने और भविष्य की संभावनाओं का अंदाज़ा लगाने में मदद करेगा।
डायवाली 2025 (20 अक्टूबर) पर RBI की घोषणा के अनुसार अधिकांश भारतीय बैंकों की शाखाएँ बंद रहेंगी, पर गुजरात, बिहार जैसे राज्य में अतिरिक्त अवकाश होंगा। डिजिटल बैंकिंग सेवाएँ जारी रहेंगी।