जब हम भूस्खलन, धरती की सतह पर मिट्टी, पत्थर या बर्फ के बड़े भाग का अचानक नीचे गिरना, भी कहा जाता है, तो यह प्राकृतिक आपदा की गंभीरता को समझना जरूरी है। यह घटना आम तौर पर भूगर्भीय अस्थिरता, पर्वतीय क्षेत्रों में चट्टानों और मिट्टी की संरचनात्मक कमजोरी से शुरू होती है, जबकि वातावरणीय परिवर्तन, भारी बारिश, तेज़ बर्फ़बारी या तेज़ी से तापमान बढ़ना इसे तेज़ कर देता है। अर्थात् भूस्खलन भूगर्भीय अस्थिरता का परिणाम है और भारी वर्षा से बढ़ता है – यह दो प्रमुख सेमांटिक त्रिप्ले हैं जो इस समस्या को समझने में मदद करते हैं।
भूस्खलन के मुख्य कारणों में से पहला है सतही जल विज्ञान में परिवर्तन; बारिश के पानी से मिट्टी की पकड़ घटती है, जिससे वह आसानी से ढ्हल जाती है। दूसरा कारण है मानव गतिविधियाँ जैसे वन कटाई, सड़क निर्माण या बंकर बनाना, जो ढलान की स्थिरता को कमजोर करते हैं। तीसरा, प्राकृतिक आवर्तिक घटनाएँ, भूकंपीय ग्रंथियों या ज्वालामुखी विस्फोटों से उत्पन्न कंपन भी भूवैज्ञानिक संरचना को अस्थिर कर भूस्खलन की सम्भावना बढ़ाते हैं। इन सबका मिलाजुला प्रभाव क्षेत्रों में भूस्खलन आपदा प्रबंधन को चुनौती देता है, जो कि प्रशासनिक तैयारियों, चेतावनी प्रणालियों और आपदा राहत के लिए आवश्यक उपायों को दर्शाता है।
यदि आप इन संकेतों को पहचानते हैं – जैसे अचानक मिट्टी का मुलायम होना, दर्रा में पानी का जमाव, या पहाड़ी ढलान पर दरारें – तो आप जोखिम का शुरुआती अनुमान लगा सकते हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और राज्य सरकारें अब रियल‑टाइम डेटा और उपग्रह चित्रों के माध्यम से संभावित भूस्खलन क्षेत्रों को मॉनिटर कर रही हैं। यह तकनीक स्थानीय लोगों को समय पर चेतावनी देने में मदद करती है, जिससे जीवन और संपत्ति की रक्षा संभव होती है।
नीचे आपको इस टैग से जुड़े ताज़ा समाचार, विशेषज्ञ राय और विश्लेषण मिलेंगे। चाहे आप एक स्थानीय निवासी हों, मँहदीस तक की योजना बना रहे हों या आपदा प्रबंधन में काम कर रहे हों – इस संग्रह में आपको विभिन्न पहलुओं की जानकारी मिलेगी जो आपके निर्णय को सुदृढ़ बनायेंगे। अब आगे चलते हैं और देखिए कैसे विभिन्न खबरें भूस्खलन के कारणों, प्रभावों और समाधान पर प्रकाश डालती हैं।
गुरुवार, 1 अगस्त 2024 को, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। इस भूस्खलन में 173 लोगों की जान चली गई है। भारी बारिश के कारण हुए इस आपदा ने व्यापक तबाही और विस्थापन किया है। गांधी ने स्थानीय अधिकारियों और निवासियों से मिले और स्थिति का जायज़ा लिया। भारतीय सरकार ने आपात सेवाएं और राहत कार्य तैनात किए हैं।