जब हम राष्ट्रीय राइफल, देश के सशस्त्र बलों में उपयोग होने वाला प्रमुख फायरआर्म, जिसमें असॉल्ट और स्नायपर दोनो प्रकार शामिल होते हैं. Also known as सरकारी राइफल, it forms the backbone of infantry firepower.
एक राष्ट्रीय राइफल का चयन कई कारकों पर निर्भर करता है। पहला है कैलिबर, बारेल के व्यास से निर्धारित बुलेट आकार, जो रेंज, पेनिट्रेशन और लॉजिस्टिक लागत को प्रभावित करता है. दूसरा कारक है असॉल्ट राइफल, छोटे दूरी की लड़ाइयों में तेज़ फायर रेट और एर्गोनॉमिक डिज़ाइन के साथ उपयोगी होती है. तीसरी विशेषता है स्नायपर राइफल, लॉन्ग-रेंज सटीकता के लिए डिज़ाइन की गई, अक्सर हाई-परफॉर्मेंस बुलेट और एडजस्टेबल सॉर्टा के साथ. इन तीनों तत्वों के बीच का संबंध स्पष्ट है: कैलिबर तय करता है कौन सी राइफल किस भूमिका में सर्वश्रेष्ठ होगी, असॉल्ट राइफल तेज़ एंगेजमेंट के लिए खोजी जाती है, जबकि स्नायपर राइफल दूर से लक्ष्य को मारने में माहिर होती है.
भारत ने पिछले दो दशकों में कई राष्ट्रीय राइफल प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। उनमें से सबसे उल्लेखनीय हैं इंडियन ऑर्डनन्स्ड राइफल (IOF) series, जो स्टॉल के माध्यम से निर्मित और कई शैलियों में उपलब्ध हैं। इस श्रृंखला में 5.56×45 mm और 7.62×39 mm दोनों कैलिबर की मॉडल्स शामिल हैं, जिससे इनका उपयोग विभिन्न तैनाती परिस्थितियों में संभव हो जाता है। इसी प्रकार, नई इंडियन मिडीयर राइफल (IMR) ने सटीकता और वजन के बीच संतुलन बनाया है, जो हल्के और भारी दोनों कार्यों में फायदेमंद है। इन राइफल्स के तकनीकी पहलुओं को समझने से आप उनके उपयोग के परिदृश्य को बेहतर देख सकते हैं।
राइफल का चयन केवल कैलिबर या वजन पर नहीं, बल्कि कई अन्य तत्वों पर भी निर्भर करता है। पहला मानदंड है फायर रेट – यानी एक मिनट में अधिकतम गोली चलाने की क्षमता। असॉल्ट राइफल में यह आमतौर पर 600-900 राउंड प्रति मिनट रहती है, जबकि स्नायपर राइफल में सटीकता के लिये कम रेट, लगभग 10-20 राउंड प्रति मिनट, पसंद की जाती है। दूसरा मानदंड है मॉड्यूलरिटी – क्या राइफल में क्विक-डिटैचमेंट पॉर्ट्स, एर्गोनॉमिक स्टॉक या ऑप्टिकल साइट्स जोड़ना आसान है? भारतीय सेना ने हाल ही में मोड्यूलर इंटरेक्टिव सिस्टम को अपनाया है, जिससे फील्ड में अनुकूलन संभव हो गया है। तीसरा महत्त्वपूर्ण पहलू है रखरखाव। एक राइफल जितनी सरल होगी, उतना ही कम समय में सफाई और मरम्मत होगी, जिससे ऑपरेटर की दक्षता बनी रहेगी। इन मानदंडों को समझकर आप इस टैग पेज पर मिलने वाले लेखों के चयन को बेहतर ढंग से उपयोग कर पाएंगे।
अब तक हमने राष्ट्रीय राइफल, कैलिबर, असॉल्ट और स्नायपर राइफल के बीच के संबंधों को स्पष्ट किया है और यह बताया कि कैसे इनका चयन विभिन्न मिशन पर निर्भर करता है। नीचे सूचीबद्ध पोस्ट्स में आप 10 प्रमुख भारतीय राइफल्स के तकनीकी विवरण, विकास इतिहास और वास्तविक प्रयोग केस देखेंगे। इस जानकारी से आप राइफल की शक्ति, उपयोगिता और भविष्य के अपग्रेड की संभावनाओं को समझ पाएंगे। आगे की पोस्टों में हम प्रत्येक मॉडल की विशिष्ट विशेषताओं को गहराई से देखेंगे, ताकि आप अपने रुचियों या पेशेवर जरूरतों के अनुसार सही जानकारी पा सकें।
जम्मू और कश्मीर के डोडा जिले में एक आतंकी हमले में एक सेना अधिकारी और तीन जवान शहीद हो गए। यह घटना 16 जुलाई 2024 को डेसा जंगल क्षेत्र में हुई। सेना अधिकारी और जवान 10 राष्ट्रीय राइफल्स के आतंकवाद विरोधी इकाई का हिस्सा थे। सुरक्षाबलों ने भारी गोलीबारी का जवाब दिया, लेकिन आतंकियों की गोलीबारी में घायल जवानों ने दम तोड़ दिया।