कर्नाटक चुनाव 2023: कांग्रेस ने 135 सीटों से मिलाई जीत, बीजेपी ने झेली भारी हार

13 मई को कर्नाटक में सभी 224 निर्वाचन क्षेत्रों के मतदान के बाद गिनती समाप्त हुई और कर्नाटक चुनाव 2023 का नतीजा उजागर हो गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 135 सीटों पर मुकुट पहना, जबकि मुड़ी हुई पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), को सिर्फ 66 सीटों की ही मंज़िल मिली। यह एक स्पष्ट परिवर्तन था, जिसमें कांग्रेस ने 42.9% वोट शेयर के साथ मजबूत अग्रिम बनाया, जबकि भाजपा का शेयर 36% रहा।
परिणाम की मुख्य बातें
कांग्रेस की जीत केवल संख्यात्मक नहीं, बल्कि भू‑राजनीतिक भी थी। उत्तर कर्नाटक में, जहाँ पहले भाजपा के किले मजबूत माने जाते थे, वहाँ कांग्रेस ने कई प्रमुख सीटों को पीछे धकेल दिया। पुराने मैसूर क्षेत्र में भी कांग्रेस ने अपनी पकड़ मजबूत की, जिससे कुल मिलाकर 135 सीटें सुरक्षित हो सकीं। यह संख्या 113 की न्यूनतम आवश्यक सीटों से बहुत आगे है, जिससे कांग्रेस को बिना गठबंधन के सरकार बनाने का पूरा भरोसा मिल गया।
भाजपा ने 2018 में हासिल 104 सीटों से 38 सीटों का बड़ा झटका झेला। इस गिरावट का असर न केवल सांख्यिकीय था, बल्कि पार्टी के मनोबल पर भी गहरा था। कई बड़े नेता और वरिष्ठ विजयी उम्मीदवार अब विरोधी दलों के साथ गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चा कर रहे हैं।
जनता दल (सेक्युलर) ने 19 सीटें जीतीं, जबकि दो स्वतंत्र उम्मीदवारों ने अपनी जीत दर्ज की। छोटे दल जैसे कल्याण राज्य प्रगति पार्टी (केआरपीपी) और सर्वोदय कर्नाटक पार्टी (एसकेपी) ने भी क्रमशः एक‑एक सीट हासिल की। इन छोटे दलों की भागीदारी ने तीन‑तरफा संघर्ष को और जटिल बना दिया, लेकिन अंततः कांग्रेस ही सबसे बड़ी जीत हासिल करने में सफल रहा।

भविष्य की सम्भावनाएँ और कानूनी दावे
केंद्र में भाजपा की सत्ता और कर्नाटक में अब घाटे की स्थिति को देखते हुए, पार्टी के भविष्य को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। इस हार ने दक्षिणी भारत में भाजपा की एकमात्र मजबूत किलों को भी कमजोर कर दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि अब पार्टी को अपनी रणनीति को पुनः संगठित करना पड़ेगा, विशेषकर गठबंधन और स्थानीय आधार को मजबूत करने की दिशा में।
कांग्रेस के दावे को लेकर कुछ चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। मलुर में कांग्रेस उम्मीदवार केवाई एनजेज़गौडा की जीत केवल 248 वोटों से हुई, जिससे उस चुनाव क्षेत्र में पुनर्गणना का मामला उठाया गया। कर्नाटक हाई कोर्ट ने गिनती में संभावित गड़बड़ी के कारण पुनः गिनती का आदेश जारी किया। यह कानूनी लड़ाई अभी भी जारी है और इसके परिणाम से पार्टी की कुल सीटों की गिनती में थोड़ी‑बहुत फेरबदल हो सकती है।
वोटर व्यवहार को देखिए तो इस बार कर्नाटक ने दो‑बार एक ही पार्टी को सत्ता में नहीं रहने की अपनी परम्परा को फिर से दोहराया। 2018 में भाजपा के शासन के बाद, अब कांग्रेस पुनः सत्ता में लौट आई है। यह बदलाव राज्य की राजनीतिक गतिशीलता में नई लहर लाने का संकेत देता है, जिससे भविष्य में नीति‑निर्माण, विकास कार्य और सामाजिक सुधारों पर नया फोकस बन सकता है।
गिनती के शुरुआती घंटे में ही, जब सुबह 9 बजे तक कांग्रेस का अग्रिम आंकड़ा स्पष्ट था, तब से ही यह स्पष्ट हो गया था कि यह एक “रूट” ही नहीं, बल्कि “भारी” जीत रहेगी। इस जीत के बाद, कांग्रेस ने तुरंत मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमुख दलीलें पेश कीं और जिलों के प्रमुख कार्यकारी अधिकारियों को नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू की।