इज़राइल ने लेबनान में हिज़्बुल्लाह ठिकानों पर हवाई हमले, एक लड़ाके की मौत
जुल॰, 31 2024इज़राइल-लेबनान संघर्ष में नई तीव्रता
इज़राइल और हिज़्बुल्लाह के बीच का तनाव एक बार फिर से चरम पर है। इज़राइली सेना ने लेबनान में हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर एक श्रंखलाबद्ध हवाई हमले किए, जिनमें से एक हमले में हिज़्बुल्लाह का एक लड़ाका मारा गया। ये हमले 30 जुलाई की रात को किए गए और इज़राइली सेना ने दावा किया कि कुल 10 ठिकानों को लक्षित किया गया।
बताया गया है कि हमला लेबनान के सात अलग-अलग क्षेत्रों में किया गया था, जिनमें हथियार भंडारण स्थान, आतंकी ढांचे, सैन्य संरचनाएं और एक लॉन्चर शामिल थे। इस हमले की वजह एक दिन पहले इज़राइल-अधिकृत गोलन हाइट्स पर हुए रॉकेट हमले को माना जा रहा है जिसमें 12 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इन बच्चों की उम्र 10 से 16 साल के बीच थी।
प्रधानमंत्री नेतन्याहू का आरामदायक जवाब
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले को एक शख्त प्रतिक्रिया देने का वचन दिया था। हालांकि, हिज़्बुल्लाह ने इस रॉकेट हमले में अपनी कोई भागीदारी से इनकार किया है, लेकिन इज़राइल का कहना है कि रॉकेट ईरानी निर्मित 'फलक' था और इसे हिज़्बुल्लाह ने ही दागा था।
गौरतलब है कि इस सतत संघर्ष में दोनों पक्षों को भारी जान-माल की हानि उठानी पड़ी है। इज़राइली पक्ष पर 22 सैनिक और 24 नागरिक मारे गए हैं, जबकि लेबनानी पक्ष पर अब तक 527 लोग हताहत हुए हैं, जिनमें 104 नागरिक शामिल हैं।
संघर्ष की आवश्यकता और मौजूदा परिस्थिति
यह संघर्ष 7 अक्टूबर को जब शुरू हुआ था तब किसी ने नहीं सोचा था कि इसका इतना गहरा असर होगा। उस दिन हमास के आतंकवादियों ने एक भीषण हमला किया था, जिसमें 1,197 लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश नागरिक थे। इसके बाद इज़राइल ने अपनी सैन्य कार्रवाई शुरू की और अब तक करीब 39,400 लोगों की जानें जा चुकी हैं, जो कि हमास-नियंत्रित क्षेत्र की स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ें हैं।
हवाई हमलों के इस दौर ने एक व्यापक तबाही का संकेत दिया है। इससे यह भी स्पष्ट है कि इज़राइल ने अब तक कोई कड़ी प्रतिक्रिया दी है। लेकिन इस संघर्ष का अंत कब और कैसे होगा, यह कहना मुश्किल है। इस समय जो चीज़ सबसे ज्यादा चौंकाती है वह है निर्दोष बच्चों और नागरिकों की दुर्दशा।
मध्य पूर्व की जटिल राजनीति
मध्य पूर्व की जटिल राजनीति और इस क्षेत्र की भूराजनीतिक स्थिति समझना आसान नहीं है। ईरान द्वारा समर्थित हिज़्बुल्लाह और इज़राइल के बीच का यह संघर्ष एक लम्बे इतिहास का हिस्सा है। दोनों पक्षों की कट्टरता के कारण शांतिपूर्ण समाधान खोजना मुश्किल होता जा रहा है।
इस संघर्ष में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले लोग हैं - निर्दोष नागरिक। चाहे वो लेबनान में हों या इज़राइल में। जो लोग रोज़ाना अपने जीवन की कुर्बानी दे रहे हैं, उनके लिए यह किसी त्रासदी से कम नहीं है। अगर इन संघर्षों को रोका नहीं गया तो यह इंसानियत के लिए एक बुरी मिसाल साबित होगी।
भविष्य की संभावनाएं
भविष्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि इज़राइल और हिज़्बुल्लाह के बीच यह संघर्ष किस ओर मोड़ लेता है। क्या दोनों पक्ष एक दीर्घ-अवधि के समाधान की ओर बढ़ेंगे या फिर और बड़ा संघर्ष देखने को मिलेगा। इन सवालों का उत्तर समय के गर्भ में है।
इज़राइल और लेबनान दोनों को ही अपने-अपने नागरिकों की सुरक्षा की चिंता करनी चाहिए और एक दूसरे के खिलाफ अनुचित कार्यवाही से बचना चाहिए।
आखिरकार, इस संघर्ष में मानवता की ही हार होती है। अब समय आ गया है कि दोनों पक्ष युद्ध में किसी भी प्रकार की भागीदारी से दूर रहें और संयम और समझ से काम लें।