डीके शिवकुमार ने सीएम पद की अटकलें खारिज, 2028 में कांग्रेस वापसी लक्ष्य
अक्तू॰, 14 2025
जब डीके शिवकुमार, उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस ने 11 अक्टूबर 2025 को बेंगलुरु के लालबाग में अपनी राय दी, तो राजनीति के समीक्षक खड़े हो गए। उन्होंने साफ‑साफ कहा कि मुख्यमंत्री पद की हर अटकल को उन्होंने "पूरी तरह खारिज" कर दिया है और उनका ध्यान "2028 में कर्नाटक में कांग्रेस सरकार वापस लाना" पर है। यह बयान उसी दिन आया, जब राज्य में सिद्धारमैया सरकार के 30‑महीने पूरे होने वाला था और सत्ता‑संरचना पर कई किंवदंतियों ने हवा बना ली थी।
पृष्ठभूमि और राजनीतिक माहौल
कर्नाटक (Place) के राजनीतिक परिदृश्य में पिछले दो साल बहुत जलते रहे हैं। मई 2023 में सिद्धारमैया ने भाजपा को हराकर मुख्यमंत्री पद संभाला, और उनके दावे थे कि "पांच गारंटियों" के तहत एक लाख करोड़ रुपये सीधे लोगों की जेब में पहुँचेगा। इन वादों की वजह से राज्य ने 2024‑25 में प्रतिव्यक्ति आय के मामले में नंबर एक दर्जा हासिल किया, जिससे आर्थिक आँकड़े चमक उठे। लेकिन साथ ही भ्रष्टाचार, कृषि संकट और गठबंधन‑संबंधी असंतोष की लौ भी जलती रही।
इन सब के बीच, डीके शिवकुमार का प्रोफ़ाइल हमेशा से ही वाणिज्यिक‑राजनीतिक रणनीति का मिश्रण रहा है। वह कांग्रेस के युवा मोर्चे के प्रमुख चेहरों में से एक हैं, और कई विश्लेषकों ने कहा था कि उनका भविष्य में सीएम पार्टी का बना सकता है। यही कारण था कि कई मीडिया चैनल ने उनका नाम "सीएम पद की दौड़" से जोड़ दिया।
शिवकुमार ने किया अटकलों का खंडन
लालबाग (Place) के एक जनसंपर्क कार्यक्रम में, जहाँ शहरी जनता से सीधे सवाल‑जवाब का सिलसिला चलता था, शिवकुमार ने कहा, "बस इसे देखें" – यह शब्द उस समय एक स्थानीय निवासी ने पूछे, "क्या अब आपके मुख्यमंत्री बनने का समय नजदीक है?"। उन्होंने तुरंत जवाब दिया, "यह कोई प्रतिबद्धता नहीं है, मैं केवल राज्य के अच्छे दिनों की बात कर रहा हूँ"। इस बयान को कई समाचार एजेंसियों ने "भ्रम पैदा करने" की कोशिश माना, लेकिन शिवकुमार ने इसे खारिज कर कहा, "मैंने कभी नेतृत्व परिवर्तन पर कोई टिप्पणी नहीं की।"
वह आगे कहे, "मैं अपना समय जानता हूँ – 2028 में कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाना मेरा लक्ष्य है।" यह लक्ष्य स्पष्ट, लेकिन अपरिवर्तित दिखता है, क्योंकि वह अभी भी "उपमुख्यमंत्री" की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह "भविष्य में कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं देंगे" यदि मीडिया झूठी खबरें फैलाता रहेगा।
मीडिया के साथ टकराव और कानूनी चेतावनी
शिवकुमार ने स्पष्ट किया कि कुछ चैनल और समाचार पत्र उनकी बातों को तोड़‑मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। "आपको भ्रमित होने की जरूरत नहीं है," उन्होंने कहा, "मैं अपना काम जनता के लिए करता हूँ, राजनीतिक खेल नहीं।" फिर उन्होंने एक सख्त चेतावनी जारी की: अगर कोई भी "झूठी और सनसनीखेज खबरें" फैलाता रहा, तो वे मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे। यह बयान कई पत्रकारों ने "सावधानीभरा" कहा, क्योंकि भारत में राजनीति और प्रेस के बीच का संबंध अक्सर तनावपूर्ण रहा है।
शिवकुमार का यह दृढ़ रुख उनके पिछले कदमों से जुड़ा है। 2022 में उन्होंने कई बार भाजपा‑प्रधान समाचार चैनलों को कानूनी नोटिस भेजे थे, जब उन पर झूठा आरोप लगा था कि उन्होंने "वित्तीय गड़बड़ी" की साजिश रची है। आज फिर से वही मंथन शुरू होने वाला है, लेकिन इस बार उनका लक्ष्य स्पष्ट: "सही जानकारी ही लोकतंत्र की रीढ़ है।"
सिद्धारमैया की रात्रिभोज बैठक और आगे का रास्ता
जब ये सब विवाद छिल रहे थे, तब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 13 अक्टूबर 2025 को मंत्रियों के साथ एक रात्रिभोज बैठक बुलाई। उन्होंने स्पष्ट किया कि "यह अनौपचारिक भोजन है, इसमें कोई शेष्म परिवर्तन नहीं होगा"। यह बयान कई राजनीतिक विश्लेषकों ने "संकट प्रबंधन की कोटि" कहा, क्योंकि इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार अंदर से स्थिर है।
वर्तमान में, सिद्धारमैया की सरकार ने तीन प्रमुख पहलों – शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा – पर खर्च को बढ़ाया है। 2024‑25 के वित्तीय वर्ष में उनका अनुमानित खर्च ₹1.75 लाख करोड़ था, जिसमें से ₹4,500 करोड़ सीधे ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में जा रहे हैं। इस पहल ने ग्रामीण इलाकों में अस्पतालों की संख्या को 12 % बढ़ा दिया।
भविष्य की संभावनाएँ और 2028 का लक्ष्य
अब सवाल यह है कि 2028 तक क्या कांग्रेस फिर से सत्ता में आ पाएगी। राजनीतिक वैज्ञानिक प्रो. राकेश सिंह (National Institute of Political Science) का अनुमान है, "अगर कांग्रेस अपनी सामाजिक नीतियों को मजबूत रखे और स्थानीय स्तर पर युवा नेतृत्व को सशक्त करे, तो 2028 का अवसर नजदीक हो सकता है।" उन्होंने यह भी बताया कि कर्नाटक में पाँच‑गुना जनसंख्या वृद्धि (2023‑2027) ने राजनीतिक समीकरण को बदल दिया है, और युवाओं की वोटिंग शक्ति में 3.2 % का इजाफा हुआ है।
शिवकुमार ने कहा, "मैं सुबह‑शाम अपने राजनैतिक कर्तव्य को निभाता हूँ, चाहे मीडिया कुछ भी कहे।" इस दृढ़ता को देख कर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मेज़र (राज्य अध्यक्ष) ने एक सार्वजनिक बयान जारी किया, जिसमें वे कहा कि "शिवकुमार का लक्ष्य हमारी पार्टी की पुनर्स्थापना है, और यह लक्ष्य जनता की सेवा से जुड़ा है।"
आज के राजनीतिक परिदृश्य में, यह स्पष्ट है कि अटकलें और वास्तविक रणनीति अक्सर अलग‑अलग द्वारों से गुजरते हैं। लेकिन एक बात निश्चित है: कर्नाटक के वोटर अब केवल शब्दों से नहीं, बल्कि बुनियादी विकास के ठोस परिणामों से निर्णय ले रहे हैं। इस बदलाव का असर 2028 के चुनाव में नज़र आएगा, जब कांग्रेस और भाजपा दोनों ही नई राहों की तलाश में होंगे।
सारांश बिंदु
- डीके शिवकुमार ने 11 अक्टूबर 2025 को मुख्यमंत्री पद की सभी अटकलें खारिज कर दीं।
- उनका प्राथमिक लक्ष्य 2028 में कर्नाटक में कांग्रेस सरकार वापस लाना है।
- मीडिया के विरुद्ध कानूनी चेतावनी और प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं देने का संकेत।
- मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 13 अक्टूबर को रात्रिभोज बैठक बुलाई, लेकिन कोई मंत्रिमंडल फेरबदल नहीं।
- राजनीतिक समीक्षक 2028 के चुनाव को दोनों दलों के लिए निर्णायक मानते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
डीके शिवकुमार ने CM पद की अटकलें क्यों खारिज कीं?
शिवकुमार ने बताया कि अटकलें मीडिया द्वारा बनायीं गई हैं और उनका असली लक्ष्य 2028 में कांग्रेस की बहाली है। उन्होंने कहा कि वह वर्तमान में उपमुख्यमंत्री के रूप में अपने दायित्वों पर पूरा ध्यान दे रहे हैं, न कि पद की दौड़ में।
सिद्धारमैया की रात्रिभोज बैठक का उद्देश्य क्या था?
बैठक का उद्देश्य मोदी बाद के दिनों में मंत्रियों के साथ अनौपचारिक चर्चा करना और सरकारी नीतियों की प्रगति का आकलन करना था। सिद्धारमैया ने स्पष्ट किया कि इसमें कोई मंत्री परिवर्तन नहीं होगा, जिससे पार्टी के भीतर स्थिरता का संकेत मिला।
भविष्य में कर्नाटक की राजनीति में कौन-सी प्रमुख चुनौतियां दिख रही हैं?
आगामी चुनौतियों में युवा वोटरों की बढ़ती अपेक्षाएँ, कृषि संकट का समाधान, और जलसंधि समस्याओं का निपटारा शामिल है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ये मुद्दे 2028 के चुनाव में जीत‑हार निर्धारित करेंगे।
क्या शिवकुमार ने मीडिया के खिलाफ कानूनी कदम उठाए हैं?
हां, उन्होंने कहा कि यदि कोई भी चैनल या पत्रिका झूठी खबरें जारी रखेगा, तो वह मानहानि के केस दायर करने के लिए तैयार हैं। यह चेतावनी पहले के कई कानूनी नोटिसों की निरंतरता है।
कांग्रेस की 2028 की योजना में क्या प्रमुख बिंदु हैं?
कांग्रेस 2028 में फिर से सत्ता में आने के लिये कृषि सुधार, रोजगार सृजन और बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान दे रही है। शिवकुमार ने बताया कि वह इन बिंदुओं को साकार करने के लिये स्थानीय नेताओं को सशक्त बनाने में जुटे रहेंगे।
Rani Muker
अक्तूबर 14, 2025 AT 00:48ध्यान देने वाली बात यह है कि शिवकुमार ने स्पष्ट रूप से 2028 के लक्ष्य पर ज़ोर दिया है और वर्तमान में उपमुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारियों को प्राथमिकता दी है। इस दृष्टिकोण से पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं को भी एक ठोस दिशा मिलती है। विकास के क्षेत्रों में सरकार के खर्च को बढ़ाने की चर्चा चल रही है, और यह जरूरी है कि कांग्रेस भी उसी ऊर्जा के साथ काम करे। ग्रामीण स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश को बढ़ावा देना सबसे जरूरी कदम है। इन बिंदुओं को ध्यान में रखकर ही 2028 की तैयारी सफल हो सकती है।
Hansraj Surti
अक्तूबर 15, 2025 AT 12:55मनुष्य की राजनीति में समय का चक्र अनिवार्य है और हर आंदोलन का अपना मौलिक सार होता है। डीकैपिटलेशन की जड़ में यह तथ्य छुपा है कि सत्ता का खेल केवल विकल्पों की गद्यांश नहीं बल्कि विचारों की गहराई पर निर्भर करता है। जैसा कि शिवकुमार ने कहा, "भविष्य की योजना 2028 में है" और यह एक दार्शनिक घोषणा है जो न केवल राजनीतिक दिशा बल्कि सामाजिक ढांचे को पुनः परिभाषित करती है।
वास्तव में, जब तक जनता को वास्तविक विकास की झलक नहीं मिलती, तब तक कोई भी दावेदारी केवल शब्दों की गूँज रह जाएगी।
वर्तमान में कर्नाटक में हो रहे बुनियादी ढाँचा विकास के प्रयास, जैसे कि ग्रामीण अस्पतालों में 4,500 करोड़ रुपये का निवेश, यह दर्शाते हैं कि सरकार विकास के प्रति गंभीर है।
पर यही निवेश तभी सार्थक हो सकता है जब स्थानीय स्तर पर युवाओं को सशक्त बनाने के लिए स्पष्ट नीतियां उपलब्ध कराई जाएँ।
एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि मीडिया और राजनीतिक व्यक्तित्वों के बीच का तनाव अक्सर जनता के भरोसे को कमजोर करता है, लेकिन यदि यह तनाव रचनात्मक बना रहे तो यह लोकतंत्र को मजबूत कर सकता है।
शिवकुमार का कानूनी चेतावनी देना भी इस बात का प्रतीक है कि वे misinformation के खिलाफ दृढ़ हैं।
इस तरह की दृढ़ता अक्सर जनता में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है, जिससे विकल्पों का दायरा विस्तृत हो जाता है।
हमें यह समझना चाहिए कि 2028 की रणनीति को सफल बनाने के लिए केवल पार्टी के इरादे पर्याप्त नहीं, बल्कि वास्तविक नीतियों का कार्यान्वयन भी आवश्यक है।
मात्रा में निवेश नहीं, प्रभाव में निवेश ही वास्तविक परिवर्तन लाता है।
कभी-कभी एक छोटा कदम बड़े बदलाव की शुरुआत बन सकता है, इसलिए हर नीति को स्थानीय आवश्यकताओं के साथ तालमेल में लाना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर, कृषि संकट को हल करने के लिए न केवल धन की आवश्यकता है, बल्कि तकनीकी समर्थन और बाजार तक पहुँच भी आवश्यक है।
वहीं, जलसंधि और जलसंकट को सुलझाने के लिए सतत जल प्रबंधन नीतियों को लागू करना अनिवार्य हो जाता है।
इन सभी बिन्दुओं को मिलाकर ही हम 2028 में एक समृद्ध कर्नाटक की कल्पना कर सकते हैं।
तो अंत में कहा जा सकता है कि शिवकुमार का लक्ष्य केवल एक समयसीमा नहीं, बल्कि एक व्यापक सामाजिक पुनरुत्थान की दिशा में एक कदम है।
Naman Patidar
अक्तूबर 17, 2025 AT 01:02शिवकुमार का लक्ष्य स्पष्ट है।
parvez fmp
अक्तूबर 18, 2025 AT 13:08भाईॢ सच में ये मीडिया वाले हर बार दंगा मोचा देते हैं 😂 हमको तो बस यही लग रहा है कि शिवकुमार की अटकलें खारिज करने वाली बात काफी रॉलरकोस्टर जैसा लगा 🤪 लेकिन देखो, उनके 2028 का प्लान तो पूरे कर्नाटक में वायरल हो रहा है 🙌 सोचा ही नहीं था कि इतने बड़े नेता भी कभी "कूलर" मोड में आते हैं 🤔 बस यही आशा रखो कि जनता समझे और पार्टी को फिर से वर्ल्ड कप जीताने का मौका मिले 🚀
s.v chauhan
अक्तूबर 20, 2025 AT 01:15सही कहा आपके जैसे दोस्त के शब्दों से ही हमें मोटिवेशन मिलती है 🙏 हमें चाहिए कि हम सब मिलकर 2028 की तैयारी में पूरे जोश के साथ जुटें। अगर हर कोई छोटे‑छोटे कदम उठाए तो बड़ा बदलाव ज़रूर आएगा। इस दिशा में युवा नेता को सशक्त बनाना और उनके साथ मिलकर नीतियों को धरातल पर उतारना अहम है। चलिए, मिलजुल कर कर्नाटक को एक नई ऊँचाइयों पर ले जाते हैं! 💪
abhinav gupta
अक्तूबर 21, 2025 AT 13:22ध्यान देने वाली बात ये है कि हर बार जब कोई नेता बड़ी बात कहता है तो मीडिया तुरंत उसे बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर देता है। लेकिन असल में शिवकुमार का फोकस सिर्फ 2028 नहीं, बल्कि वर्तमान में उनके दायित्वों को निभाना है। इसलिए हमें उनके उपमुख्यमंत्री कार्यों को भी देखना चाहिए, न कि सिर्फ अटकलों को।
vinay viswkarma
अक्तूबर 23, 2025 AT 01:28विफ़लता की ओर नहीं, तरक्की की ओर देखें।
Deepak Verma
अक्तूबर 24, 2025 AT 13:35कर्नाटक की राजनीति में विकास के खर्च को बढ़ाते हुए, स्वास्थ्य और शिक्षा पर ध्यान देना ज़रूरी है, ताकि जनता को वास्तविक लाभ मिल सके। यह कदम 2028 के लक्ष्य को साकार कर सकता है।
Vinay Bhushan
अक्तूबर 26, 2025 AT 01:42आइए हम सब मिलकर इस लक्ष्य को समर्थन दें और स्थानीय स्तर पर युवा नेताओं को सशक्त बनाएं; ऐसा करने से कांग्रेस का पुनरागमन संभव होगा और जनता को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
Gursharn Bhatti
अक्तूबर 27, 2025 AT 13:48समझने की बात यह है कि बड़े योजनाएँ अक्सर छुपे हुए एजेंडा के साथ आती हैं, और अक्सर मीडिया इन्हें नियंत्रित कर अपने ही हितों को आगे बढ़ाता है। शिवकुमार की 2028 की योजना पर भी एक गुप्त रणनीति हो सकती है, जिससे राजनीतिक संतुलन बदल सकता है। इसलिए हमें प्रतिबंध नहीं, बल्कि सूचनाओं की सतर्कता रखनी चाहिए।
Arindam Roy
अक्तूबर 29, 2025 AT 01:55बहुत ज़्यादा बात नहीं, बस ये कहूँ कि लक्ष्य बढ़िया है, पर असल में काम कैसे होगा, इसका फैसला नहीं कर पा रहा हूँ।