अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025: ISRO की शिल्पी सोनी ने पीएम मोदी के सोशल अकाउंट संभाले
सित॰, 29 2025
जब शिल्पी सोनी, अंतरिक्ष वैज्ञानिक ISRO ने 8 मार्च 2025 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के X और Instagram खातों को संभाला, तो सोशल मीडिया पर गूँजती एक नई लहर महसूस हुई। यह पहल, जो इस साल के महिला दिवस को खास बनाने के लिए मोदी जी ने पहले ही 23 फरवरी 2025 को घोषणा कर दी थी, छह महिला achievers को मंच पर लाकर भारत की विज्ञान‑तकनीक में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को उजागर करती है।
इवेंट की पृष्ठभूमि
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की आधिकारिक घोषणा इंटरनेशनल वुमेन्स डे 2025 के अंतर्गत हुई थी। इस साल का थीम ‘विज्ञान में महिला शक्ति’ रखी गई थी, और इसके तहत प्रधानमंत्री ने पहले से ही अपने सोशल प्लेटफ़ॉर्म को उन महिलाओं को सौंपने का वादा किया था जिन्होंने अपने‑अपने क्षेत्रों में खास पहचान बनाई। भारत में महिलाओं के लिये विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) को प्रोत्साहित करने के कई सरकारी कार्यक्रमों के साथ यह कदम एक नई दिशा‑संकल्पना को दर्शाता है।
शिल्पी सोनी की यात्रा
शिल्पी सोनी का जन्म मध्य प्रदेश के सागर में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता कृष्णा एक छोटे व्यापारी थे, और उन्होंने बचपन से ही उन्हें दृढ़ परिश्रम की शिक्षा दी। शिल्पी ने अपना शुरुआती विज्ञान कोर्स दिल्ली के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से किया, फिर DRDO तथा ISRO में 24 साल से अधिक का अनुभव हासिल किया। वह अब ISRO के अहमदाबाद केंद्र में प्रोजेक्ट लीडर के पद पर कार्यरत हैं।
शिल्पी ने कहा, "मैं बहुत गर्व महसूस कर रही हूँ कि मोदी जी ने हमें इस मंच पर लाया। यह सिर्फ एक सोशल मीडिया हैंडल नहीं, बल्कि एक अमूल्य संदेश है कि विज्ञान में महिलाओं की जगह नहीं, बल्कि उनका अधिकार है।" यह विचारधारा उनकी पति प्रदीप सोनी, जो स्वयं भी वैज्ञानिक हैं, के सहयोग से और मजबूत हुई। दोनों ने मिलकर भारतीय अंतरिक्ष मिशनों में कई सफल योगदान दिया है।
प्रमुख महिलाएँ और उनका योगदान
- एलिना मिश्रा, भुवनेश्वर स्थित भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर की परमाणु वैज्ञानिक, जिन्होंने शिल्पी के साथ प्रधानमंत्री के अकाउंट पर पहला पोस्ट किया। उनका संदेश था, "अंतरिक्ष और परमाणु तकनीक भारत के भविष्य के स्तंभ हैं, और महिलाएँ इनके अग्रदूत बन रही हैं।"
- वैषाली रैमेशबाबु, 2023 में ग्रैंडमास्टर बन गई शतरंज की महारानी, जिन्होंने खेल में महिलाओं के लिए नए मानदंड स्थापित किए।
- अनीता देवी, बिहार के नालंदा से ‘मशरूम लेडी’ के नाम से जानी गयी, जिन्होंने 2016 में मधोपुर फार्मर्स प्रोड्यूसर्स कंपनी की स्थापना की और हजारों किसानों को सशक्त बनाया।
- अजैता शाह, राजस्थान की उद्यमी, जो फ्रंटियर मार्केट्स की संस्थापक‑सीईओ हैं और 35,000 से अधिक डिजिटल‑उन्मुख महिला उद्यमियों को प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करती हैं।
- अंजली अग्रवाल, दिल्ली की सामाजिक कार्यकर्ता, जिन्होंने समर्थ्यं सेंटर फ़ॉर यूनिवर्सल एक्सेसिबिलिटी की स्थापना की, जिससे दिव्यांग लोगों के लिए सार्वजनिक स्थान अधिक सुलभ हो गए।
प्रतिक्रिया और विश्लेषण
यह पहल न केवल सोशल मीडिया पर बड़ी चर्चा का कारण बनी, बल्कि विज्ञान‑तकनीक में महिलाओं की उपस्थिति को सुदृढ़ करने की नीति का भी समर्थन किया गया। कई विशेषज्ञों ने कहा, "जब प्रधानमंत्री जैसे उच्च पदस्थ नेता इस तरह से महिलाओं को मंच प्रदान करते हैं, तो यह नीति‑निर्माण में वास्तविक बदलाव का संकेत है।"
किंतु कुछ आलोचकों ने प्रश्न उठाया कि क्या केवल सोशल प्लेटफ़ॉर्म के हैंडल सौंपने से वास्तविक अवसरों में वृद्धि होगी या यह केवल दर्शनीय स्वरूप है। इस पर शिल्पी ने उत्तर दिया, "हमारा मकसद दिखावा नहीं, बल्कि प्रेरणा है। जब युवा छात्रा इस तरह की पोस्ट देखेगी, तो वह अपना सपना फिर से सजग कर सकेगी।"
भविष्य की राह
प्रधानमंत्री ने पहले भी 2020 में इस तरह के सोशल मीडिया टैकओवर का प्रयोग किया था, लेकिन 2025 का संस्करण कई मायनों में अधिक व्यापक था। अब सवाल यह है कि क्या इस पहल को वार्षिक कार्यक्रम बना कर, महिलाओं को वास्तविक नौकरी, अनुदान और अनुसंधान के अवसरों से जोड़ना संभव होगा। कई संस्थानों ने इस दिशा में पहल करने का इरादा जताया है।
आगे देखते हुए, विज्ञान‑प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अपना नया ‘Women in Space Initiative’ लॉन्च करने की घोषणा की है, जिसमें 2026 तक 100 महिलाओं को अंतरिक्ष मिशन में भाग लेने का लक्ष्य रखा गया है। इसी तरह, BARC ने ‘Women in Nuclear Research’ के तहत नई स्कॉलरशिप योजना पेश की है। शिल्पी सोनी इस कार्यक्रम में भागीदारी की आशा व्यक्त कर चुकी हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस पहल से भारतीय महिला वैज्ञानिकों को क्या लाभ होगा?
सोशल मीडिया टैकओवर से महिला वैज्ञानिकों की पहचान राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी, जिससे उन्हें अधिक अनुदान, सहयोगी परियोजनाएँ और अनुसंधान अवसर मिलने की संभावना बढ़ेगी।
क्या यह कार्यक्रम हर साल दोहराया जाएगा?
प्रधानमंत्री ने अभी इस वर्ष के बाद भी इसी तरह के टैकओवर की संभावना बताई है, लेकिन इसे नियमित वार्षिक कार्यक्रम बनाने के लिए मंत्रियों और संस्थानों को विस्तृत रूपरेखा तैयार करनी होगी।
शिल्पी सोनी ने इस अवसर को कैसे देखा?
शिल्पी ने कहा कि यह सम्मान केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सभी भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जिससे वे विज्ञान‑प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में कदम रख सकें।
इंस्टीट्यूट्स ने इस पहल पर क्या कहा?
ISRO और BARC दोनों ने इस कदम की सराहना की और वादा किया कि वे महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये नए कार्यक्रम शुरू करेंगे, जिसमें स्कॉलरशिप और मेन्टॉरशिप शामिल हैं।
सामान्य जनता इस पहल से कैसे जुड़ सकती है?
जनता सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर #WomensDay2025 टैग से जुड़ी पोस्ट देख सकती है, इन महिलाओं के कार्यों को शेयर कर समर्थन दिखा सकती है और स्थानीय शैक्षिक कार्यक्रमों में भाग लेकर इस बदलाव को आगे बढ़ा सकती है।
Kiran Singh
सितंबर 29, 2025 AT 20:16शिल्पी सोनी जी को बड़ी बधाई 🎉! उनका इस महीने का सोशल टैकओवर पूरे देश में विज्ञान में महिला शक्ति का जश्न बना रहा है। ऐसे कदम युवा लड़कियों को खुद की राह बनाने की प्रेरणा देंगे। 🙌
Balaji Srinivasan
सितंबर 30, 2025 AT 18:30यह पहल विभिन्न क्षेत्रों की महिला विशेषज्ञों को एक मंच देती है, जिससे अनुभवों का आदान‑प्रदान आसान हो जाता है। साथ मिलकर हम STEM में जेंडर गैप को धीरे‑धीरे कम कर सकते हैं।
Hariprasath P
अक्तूबर 1, 2025 AT 16:43देखो, मोदी जी ने टैकओवर दिया, पर असली सवाल है कि क्या इस दिखावे से वैज्ञानिकों के करियर में वास्तविक सुधार आएगा? अगर नहीं, तो यह सिर्फ एक पॉप‑अप है, न कि स्थायी बदलाव।
Vibhor Jain
अक्तूबर 2, 2025 AT 14:56हम्म, बात तो सही है-सिर्फ एक पोस्ट से सब ठीक नहीं हो जाता। लेकिन कम से कम इस तरह की खबरें महिलाओं को सामने लाने का एक छोटा कदम तो हैं।
Rashi Nirmaan
अक्तूबर 3, 2025 AT 13:10देश के विकास में विज्ञान की भूमिका अपरिवर्तनीय है और महिला वैज्ञानिकों को सम्मानित करना राष्ट्रीय कर्तव्य है यह पहल इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है
vikash kumar
अक्तूबर 4, 2025 AT 11:23शिल्पी सोनी द्वारा इस डिजिटल हस्तक्षेप से यह स्पष्ट होता है कि अंतरिक्ष कार्यक्रमों में महिला नेतृत्व केवल सम्भावना नहीं, बल्कि वास्तविकता बनती जा रही है।
Anurag Narayan Rai
अक्तूबर 5, 2025 AT 09:36अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की इस नई पहल ने हमें यह याद दिलाया कि विज्ञान में महिला योगदान कितना महत्वपूर्ण है।
शिल्पी सोनी की सफलता यह प्रमाण है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कोई भी बाधा पार की जा सकती है।
उन्होंने न केवल तकनीकी चुनौतियों को हल किया, बल्कि युवा लड़कियों के लिए एक रोल मॉडल भी स्थापित किया।
इस प्रकार के सामाजिक माध्यमों के माध्यम से संदेश फैलाना आज के डिजिटल युग में अत्यंत प्रभावी है।
जब प्रधानमंत्री के खाते पर इन महिलाओं की आवाज़ें सुनाई देती हैं, तो उनका प्रभाव सामाजिक दायरे तक विस्तारित हो जाता है।
यह पहल सरकार की महिलाओं को विज्ञान में प्रोत्साहित करने की नीति को जनता के सामने स्पष्ट करती है।
साथ ही यह दर्शाता है कि संस्थान जैसे ISRO और BARC केवल पुरुषों का ही नहीं, बल्कि महिलाओं का भी मंच है।
हमें यह भी देखना चाहिए कि भविष्य में ऐसे टैकओवर को नियमित रूप से किया जाए, ताकि निरंतर प्रेरणा मिलती रहे।
कई अध्ययनों ने सिद्ध किया है कि विविध टीमों में नवाचार की दर अधिक होती है और इस प्रकार राष्ट्रीय विकास तेज़ होता है।
इसलिए इस पहल के माध्यम से न केवल एक दिन के लिए, बल्कि दीर्घकालिक रूप से महिलाओं के अवसर बढ़ाने की जरूरत है।
यदि हम इस गति को सीमित नहीं रखेंगे, तो 2026 में 100 महिलाओं को अंतरिक्ष मिशन में भाग लेने का लक्ष्य निश्चित ही प्राप्त हो सकता है।
इसके साथ ही महिलाओं के लिए विशेष स्कॉलरशिप और मेंटरशिप कार्यक्रमों की शुरुआत भी आवश्यक है।
हमें यह समझना चाहिए कि सामाजिक जागरूकता और व्यावहारिक समर्थन दोनों ही समान रूप से आवश्यक हैं।
इस पहल को लेकर जनता की प्रतिक्रिया सकारात्मक है, लेकिन विशेषज्ञों ने भी सटीक कार्यान्वयन की जरूरत पर बल दिया है।
अंत में कहा जा सकता है कि शिल्पी सोनी का यह योगदान विज्ञान में महिला शक्ति को उजागर करने के लिए एक मील का पत्थर है।
आशा है कि आगे भी ऐसी पहलों से महिला प्रतिभाओं को वास्तविक मंच मिलते रहेंगे।
Sandhya Mohan
अक्तूबर 6, 2025 AT 07:50सच में, जैसा आप ने कहा, महिलाएँ विज्ञान के पहिए को घुमा रही हैं; यह ऊर्जा हमें एक नई दिशा की ओर ले जाती है।
Prakash Dwivedi
अक्तूबर 7, 2025 AT 06:03इसी तरह के टैकओवर अक्सर सुर्ख़ियों का हिस्सा बनते हैं, लेकिन गहरी परिवर्तन उनके बिना रह जाता है।
Rajbir Singh
अक्तूबर 8, 2025 AT 04:16आइडिया अच्छा है पर असली काम तो मैदान में होता है, सिर्फ पोस्ट नहीं।
Swetha Brungi
अक्तूबर 9, 2025 AT 02:30विज्ञान में महिला शक्ति को साकार करने के लिए हमें न केवल पहचान, बल्कि ठोस समर्थन की भी आवश्यकता है। इस दिशा में सरकारी योजना, निजी कंपनियों की भागीदारी, और सामाजिक जागरूकता सभी मिलकर एक सशक्त ढांचा तैयार करेंगे।
Govind Kumar
अक्तूबर 10, 2025 AT 00:43बिलकुल सही कहा, सहयोगी प्रयासों से ही दीर्घकालिक बदलाव संभव है। हम सभी को इस मिशन में अपना योगदान देना चाहिए।
Shubham Abhang
अक्तूबर 10, 2025 AT 22:56हम्म... क्या ये सिर्फ एक पॉप‑अप है??? अंत में क्या वास्तविक अवसर मिलेंगे???
Trupti Jain
अक्तूबर 11, 2025 AT 21:10समग्र रूप से देखा जाए तो यह पहल रंगीन और आकर्षक है, पर वास्तविक प्रभाव का आकलन अभी बाकी है।
deepika balodi
अक्तूबर 12, 2025 AT 19:23क्या इससे ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों को भी प्रेरणा मिलती है?